रविवार, 27 जुलाई 2014

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फिल्म एक नजर में : किक ( फिल्म समीक्षा )

निर्माता : साजिद नाडियाडवाला
निर्देशक : साजिद नाडियाडवाला
कलाकार : सलमान, जैकलीन, मिथुन, रणदीप हुड्डा, नवाजुद्दीन,
आखिरकार बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘किक ‘ प्रदर्षित हो ही गई ! 
और प्रदर्शन के साथ ही इसने कमाई के रिकोर्ड्स भी बना लिये ! ट्रे
लर से एकबारगी यह भ्रम जरुर होता है के शायद इस बार कुछ अलग देखने को मिलेगा ,
या कुछ नया प्रयोग होगा , 
किन्तु ऐसा सोचना ही गलत है ! 
यदि फिल्म का नाम ‘धुम 4 ‘ भी होता तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होती , 
एक हिसाब से यह फिल्म सलमान की अब तक की सभी फिल्मो की खिचड़ी बन कर रह गई है ! 
वांटेड ,दबंग ,जय हो .आदि सभी फिल्मे आपकी नजरो के सामने दौड़ जाएँगी !
कहानी की बात करते है ! देवीलालसिंग ( सलमान खान ) एक सनकी व्यक्ति है ,
वह हर चीज को उलटे तरीके से करने का आदि है ! और मुसीबतों से खेलना उसकी फितरत है ! 
उसका मानना है के जिन्दगी में किक होनी चाहिए ( कौन सी और कैसी किक ! 
यह खुद सलमान नहीं समझा पाए ) , अपने दोस्त की शादी करवाने के समय की बेवकूफी
 और बिना लॉजिक की भागदौड़ में उसकी मुलाकात ‘सान्या ‘ ( जैकलिन ) से होती है ,
और कुछ मुलाकातों ,तकरारो और सदियों पुराने घिसे पिटे तरीको को आजमाने के 
बाद सान्या भी उस से प्यार करने लगती है ! ‘देवीलाल ‘ की सनक से दर्शक परेशांन होते 
तब तक देवीलाल के पिता (मिथुन चक्रवर्ती ) के किरदार में दर्शको पर एक और जबरदस्ती का सनकी थॉम्प 
दिया जाता है , दोनों बाप बेटे अव्वल दर्जे के शराबी और आवारा है , माँ भी कुछ कम नहीं है 
( अर्चना पूरनसिंह ) कुल मिलाकर यह परिवार एक अजीबो गरीब परिवार बन कर रह गया है . 
खैर यहाँ ‘देवीलाल ‘ की खासियतो का जिक्र करना भी जरुरी है ,वह बचपन से सनकी है ! 
हर उलटे सीधे काम करता है ,सबको परेशान करता रहता है ,किन्तु वह गजब का जीनियस है ! 
फुर्तीला है ,तेज है ,और नए नए आविष्कार एवं प्रयोग करता रहता है ,
जिसके कारण उसकी जल्दी किसी से बनती नहीं !
और यही हाल ‘सान्या ‘ से उसके रिश्ते का भी होता है ! ‘देवीलाल ‘ एक जगह ठहर नहीं सकता , 
वह बत्तीस जगह नौकरी छोड़ चुका जिसमे पचास हजार की सैलरी वाली नौकरी भी है ,
कारण सिर्फ एक ही है ‘इसमें किक नहीं है ‘ ! उसकी इस हरकतों के कारण सान्या उससे अलग हो जाती है !
जिसके बाद ‘देवीलाल ‘ एक शातिर चोर बनकर उभरता है जिसका नाम ‘डेविल ‘ है ! 
डेविल बड़ी बड़ी चोरिया कर चुका है ,और उसके पीछे है पुलिस अफसर ‘हिमांशु’ ( रणदीप हुड्डा ) ! 
इत्तेफाक से रणदीप की शादी की बात ‘सान्या ‘ से होती है ,और यहाँ ‘देवीलाल ‘ 
उर्फ़ डेविल का अगला निशाना है होम मिनिस्टर का भतीजा ‘शिव ‘ ( नवजुद्दीन सिद्दीकी ) ! 
वह मेडिकल रिसर्च और इक्यूपमेंट्स के नाम पर घोटाले में लिप्त है और ‘डेविल ‘ 
उस से जुड़े हर शख्श को लूट रहा है , अब हिमांशु भी उसके अगले शिकार के बारे में जानता है 
और वह भी उसे रोकने के लिए सज्ज है .फिर क्या होता है यही बाकी की कहानी है .
बस यही थी फिल्म की कहानी ! सलमान की फिल्म है तो उनका सफल होना गारंटी है ,
यह भी सफल हो चुकी है ,किन्तु कहानी की उम्मीद करना बेमानी होगी ,
आपको यदि मनोरंजन की उम्मीद है ( बिना लोजिक की ) तो हां फिल्म आपको पसंद आयेगी ! 
किन्तु कुछ नया देखने की इच्छा हो तो निराशा ही हाथ लगेगी .
फिल्म में किरदारों की बात करे तो ‘रणदीप हुड्डा ‘ ने बढ़िया अभिनय किया है ! 
‘नवजुद्दीन ‘ का भी एक सनकी व्यक्ति के रूप में अभिनय बढ़िया है !
 किन्तु जबरदस्ती की बात बात पर हंसी जरुर खीज पैदा करती है .सौरभ शुक्ल ,मिथुन ,विपिन शर्मा ,
आदि अपनी छोटी छोटी भूमिकाओं में हंसा जाते है ! बाकी ख़ास जिक्र करने लायक रोल नहीं मिला है 
इन्हें ,गानों की बात करे तो दो ही गाने चार्ट पर है ‘जुम्मे की रात ‘ और ‘यार न मिले ‘ ! 
इसके अलावा सलमान द्वारा गाया गाना ‘हैंगओवर ‘ याद नहीं रहता !
स्टंट सिर्फ ट्रेलर में ही अच्छे लगे है ! फिल्म में बनावटी प्रतीत होते है ,
फिर भी फिल्म में सिर्फ सलमान का ही जलवा है ! या कहे ‘किक ‘ है .
जैकलिन का काम सिर्फ ‘देवीलाल ‘ को प्रस्तुत करना ही भर था ! 
हां फिल्म को भावनात्मक रूप देने की कोशिश भी की गई है ‘देवीलाल ‘ के ‘डेविल ‘ 
बनने की वजह बताकर.
और फिल्म का यही एकमात्र दृश्य फिल्म में स्थिरता ला देता है , ‘देवीलाल ‘ 
की भूमिका साबित करने में ही आधी फिल्म खत्म हो जाती है ! 
इसे यदि सही से एडिट किया जाता तो फिल्म और चुस्त हो सकती थी ,
बहरहाल सलमान की फिल्म है तो सिर्फ मनोरंजन की उम्मीद में जाईये ! 
ज्यादा उम्मीदे न पाले तो बेहतर रहेगा , हां एक्शन का मसाला इसमें अवश्य कम मिलेगा 
( एक्शन के नाम पर गाडिया उछालना ही मिलेगा ) .
ढाई स्टार

देवेन पाण्डेय 

9 टिप्‍पणियां:

  1. फ़िल्म में एक संवाद हैं कि मैं दिल 💘 में आता हूँ समझ में नहीं।
    बस फिल्म के लिए भी यही कह सकते हैं।

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  2. आज फिल्म देख चुका था पर आपकी समीक्षा जरूर पढ़ेंगे

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  3. सुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - 28 . 7 . 2014 को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !

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    उत्तर
    1. आशीष भाई धन्यवाद ! यह मेरी प्रथम समीक्षा होगी जो आपके चर्चा मंच पर सजह होगी ,मै अभिभूत हुवा .

      हटाएं
  4. आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 28 . 7 . 2014 दिन सोमवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  5. sundar sameeksha .....vaise bhi action movies dekhna mere bas ki hi nahi ...

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    उत्तर
    1. धन्यवाद उपासना जी ! वैसे हम हर तरह की फिल्मे देखते है ,कोई विशेष कैटेगरी भी नहीं रखते पसंद की .

      हटाएं

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