नोट : ‘ओल्डबॉय’ एक विचलित करनेवाली अडल्ट रेटेड फिल्म
है ,
कुछ ऐसी घटनाए है जो मन को विचलित कर सकते है एवं
उबकाई भी ला सकते है .
‘पार्क चानऊक ‘ निर्देशित इस कोरियन फिल्म को
समीक्षकों ने काफी सराहा एवं काफी सफल भी रही ! इसकी सफलता को भुनाने के लिए बॉलीवुड
में ‘संजय गुप्ता ‘ ने प्रेरित होकर ‘संजय दत्त एवं जॉन अब्राहम ‘ स्टारर फिल्म ‘जिन्दा
‘ बनाई , जो फ्रेम टू फ्रेम इसी फिल्म की कॉपी थी ! इसके बावजूद भारतीय दर्शको के
लिहाज से इसमें भारी बदलाव भी किये गए .
इस फिल्म का होलीवुड रीमेक भी आया 2013 में इसी नाम से !
किन्तु वह सफल नहीं रही ,वजह साफ़ थी फिल्म का क्लाईमेक्स सभी
को पहले से ही पता था
और इस रीमेक में वो बात नहीं थी .
आते है इस फिल्म की ओर ! ‘’डाय सु’’ ( चोई मिन
सिक ) नशे में उत्पात मचाने के अपराध में पुलिस की हिरासत में है ,जहा उसे उसका
मित्र आकर छुड़ाता है ,
रास्ते में उसका मित्र फोन करने के लिए रुकता है !
इसी दौरान
’डाय सु’ का अपहरण हो जाता है .
’डाय सु’ को जब होश आता है तब वह खुद को एक बंद
कमरे में पाता है !
जहा एक टीवी ,कमोड़ ,शीशे के अलावा कुछ भी नहीं है .
वह समझ जाता है के उसे किसी ने अपहरण करके कैद
किया हुवा है !
किन्तु उसके अपहरण का उद्देश क्या है यह उसे बताया नहीं गया और ना
ही कोई उससे सम्पर्क कर रहा है .
उसे खाने के समय दरवाजे में बनी दरार से खाना दे
दिया जाता है ,
धीरे-धीरे इस कैद में उसे सालो बीत जाते है !
’डाय
सु’ अब अपना मानसिक संतुलन खोने लगा है ,और वह आत्महत्या के प्रयत्न भी कर चुका है
लेकिन उसकी ऐसी किसी कोशिश पर कमरे में गैस भर जाती है, और वह बेहोश हो जाता है !
होश में आने पर उसे पता चलता है के उसका इलाज हो चुका है ,रोज उसे बेहोश करके
दवाईया दी जाती है, ताकि वह पागल न हो जाए .
कैद में बाहरी दुनिया से सम्पर्क का एकमात्र साधन
एक टीवी है जिसे वह बाहरी दुनिया की खबरे जान पा रहा है ! और उसे पता चलता है के
उसकी बीवी की ह्त्या कर दी गयी है और इल्जाम ’डाय सु’ पर लगाकर उसे फरार घोषित कर
दिया गया है .
उसे अपनी बेटी की फ़िक्र है ,और वह उसके लिए
निकलना चाहता है !
आखिरकार कमरे में फिर गैस भरती है ,और जब ’डाय सु’ की आँखे
खुलती है तो वह खुद को खुले आसमान के निचे पाता है कैद से एकदम आजाद .
उसकी जेब में पैसे है ! एक सेल फोन है , अब ’डाय
सु’ अपने अपहरणकर्ता को ढूँढना चाहता है ,अपनी बेटी को भी ! इतने सालो पश्चात ’डाय
सु’ मानसिक रूप से अस्वस्थ हो चुका है और वह एक रेस्टोरेंट में जाकर बेहोश हो जाता
है .
तब वहा की वेट्रेस ‘मीडो ‘ उसे अपने घर ले जाकर
उसका उपचार करती है !
’डाय सु’ मीडो से प्रभावित होता है ,तब मीडो उसके बारे जानने
की इच्छा रखती है , ’डाय सु’ उसे अपनी बेटी और अपहरणकर्ता की तलाश के बारे में
कहता है !
तब मीडो उसका साथ देती है .
’डाय सु’ अब पूरी तरह से शैतान बन चुका है ! वह अपने
अपहरण स्थल पर पहुँचता है ,
जहा उसे पता चलता है के उसके अपहरण के पीछे कोई ऐसा
व्यक्ति है जो उससे किसी बात का बदला लेना चाहता है ! जो उससे अपना इच्छित काम
करवाना चाहता है ,
उसकी इच्छा ’डाय सु’ की जिन्दगी को नर्क बना देने की है ,
’डाय
सु’ बड़ी मुश्किल से दोबारा कैद में जाते-जाते बचता है और फिर तलाश शुरू करता है ! उसकी वजह से मीडो पर खतरे आ चुके है ,
इसलिए वह मीडो को खुद से दूर रखता है फिर क्या होता है ? क्या ’डाय सु’ अपने
अपहरणकर्ता को ढूंढ पाता है ?
और उसे कैद में रखे जाने की आखिर वजह क्या थी ? क्या
उसकी बेटी उसे फिर मिल सकी ?
इन्ही सब सवालों के जवाब अगले भाग में मिलते है !
और जब जवाब मिलने शुरू होते है तब दिमाग चकराना शुरू हो जाता है ,
और अंत आपको घृणा
करने पर मजबुर कर देता है .
दर्शको ने भी नहीं की थी .
कुल मिला कर फिल्म अडल्ट रेटेड है ! रेड बैंड ,फिल्म
का ट्रीटमेंट धीमा होने के बावजुद फिल्म बांधे रखती है , एक्टिंग की बात करे तो ’डाय
सु’ के चरित्र में चोई मिन सिक वाकई में कमाल का अभिनय करते नजर आते है ! कैद के
दृश्य ,कैद से निकलने के बाद की मनोदशा ,हर तरह के भाव में उनकी अभिनय क्षमता
लाजवाब है .
एक्शन
धीमा है मगर नयापन लिए हुए है ,खासतौर पर फिल्म का वह दृश्य जब
’डाय सु ‘ जेल के बाहर अपहरणकर्ताओं के गुर्गो से
भिड़ता है मात्र एक हथौड़ी लिए हुए,जब वह पचासियो से लड़ता है ! ऐसे दृश्य अविश्वसनीय
होते है, लेकिन इस दृश्य को देखते हुए ये अविश्वसनीय नहीं लगता ! चोट खाकर गिरना,
फिर उठना ,फिर लड़ना फिर घायल होना ,
फिर उठकर लड़ना, बिना किसी मार्शल आर्ट स्टंट के
या स्पेशल इफेक्ट के ,
एकदम असल मुवमेंट्स का इस्तेमाल ! इसी निर्माता टीम की अगली
फिल्म थी ‘ आई सॉ दी डेविल ‘ ( जिसकी अभी अभी हिंदी रीमेक ‘एक विलेन ‘ भी आई है ) जिसमे
खलनायक का किरदार भी ’डाय सु’ का किरदार निभाने वाले चोई मिन सिक ने ही किया है .
लाजवाब थ्रिलर ,एक्सट्रीम खुनखराबा, एक्शन,और सस्पेंस
के शौक़ीन यह फिल्म देख सकते है .
किन्तु कुछ बाते है जो असहज कर सकती है .
थ्रिलर ,सस्पेंस ,कहानी के लिहाज से फिल्म चार
स्टार ले जाती है !
( फाईव भी देता किन्तु इसकी धीमी गति और अडल्ट कंटेंट के कारण
एक स्टार कम हो गया )
देवेन पाण्डेय
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