निर्माता
: साजिद नाडियाडवाला
निर्देशक
: साजिद नाडियाडवाला
कलाकार
: सलमान, जैकलीन,
मिथुन, रणदीप
हुड्डा, नवाजुद्दीन,
आखिरकार बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘किक ‘
प्रदर्षित हो ही गई !
और प्रदर्शन के साथ ही इसने कमाई के रिकोर्ड्स भी बना लिये !
ट्रे
लर से एकबारगी यह भ्रम जरुर होता है के शायद इस बार कुछ अलग देखने को मिलेगा
,
किन्तु ऐसा सोचना ही गलत है !
यदि फिल्म का नाम ‘धुम 4 ‘
भी होता तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होती ,
एक हिसाब से यह फिल्म सलमान की अब तक
की सभी फिल्मो की खिचड़ी बन कर रह गई है !
वांटेड ,दबंग ,जय हो .आदि सभी फिल्मे
आपकी नजरो के सामने दौड़ जाएँगी !
कहानी की बात करते है ! देवीलालसिंग (
सलमान खान ) एक सनकी व्यक्ति है ,
वह हर चीज को उलटे तरीके से करने का आदि है ! और
मुसीबतों से खेलना उसकी फितरत है !
उसका मानना है के जिन्दगी में किक होनी चाहिए (
कौन सी और कैसी किक !
यह खुद सलमान नहीं समझा पाए ) , अपने दोस्त की शादी करवाने के
समय की बेवकूफी
और बिना लॉजिक की भागदौड़ में उसकी मुलाकात ‘सान्या ‘ ( जैकलिन ) से
होती है ,
और कुछ मुलाकातों ,तकरारो और सदियों पुराने घिसे पिटे तरीको को आजमाने के
बाद सान्या भी उस से प्यार करने लगती है ! ‘देवीलाल ‘ की सनक से दर्शक परेशांन
होते
तब तक देवीलाल के पिता (मिथुन चक्रवर्ती ) के किरदार में दर्शको पर एक और
जबरदस्ती का सनकी थॉम्प
दिया जाता है , दोनों बाप बेटे अव्वल दर्जे के शराबी और
आवारा है , माँ भी कुछ कम नहीं है
( अर्चना पूरनसिंह ) कुल मिलाकर यह परिवार एक
अजीबो गरीब परिवार बन कर रह गया है .
खैर यहाँ ‘देवीलाल ‘ की खासियतो का जिक्र
करना भी जरुरी है ,वह बचपन से सनकी है !
हर उलटे सीधे काम करता है ,सबको परेशान
करता रहता है ,किन्तु वह गजब का जीनियस है !
फुर्तीला है ,तेज है ,और नए नए
आविष्कार एवं प्रयोग करता रहता है ,
जिसके कारण उसकी जल्दी किसी से बनती नहीं !
और यही हाल ‘सान्या ‘ से उसके रिश्ते
का भी होता है ! ‘देवीलाल ‘ एक जगह ठहर नहीं सकता ,
वह बत्तीस जगह नौकरी छोड़ चुका
जिसमे पचास हजार की सैलरी वाली नौकरी भी है ,
कारण सिर्फ एक ही है ‘इसमें किक नहीं
है ‘ ! उसकी इस हरकतों के कारण सान्या उससे अलग हो जाती है !
जिसके बाद ‘देवीलाल ‘ एक शातिर चोर
बनकर उभरता है जिसका नाम ‘डेविल ‘ है !
डेविल बड़ी बड़ी चोरिया कर चुका है ,और उसके
पीछे है पुलिस अफसर ‘हिमांशु’ ( रणदीप हुड्डा ) !
इत्तेफाक से रणदीप की शादी की
बात ‘सान्या ‘ से होती है ,और यहाँ ‘देवीलाल ‘
उर्फ़ डेविल का अगला निशाना है होम
मिनिस्टर का भतीजा ‘शिव ‘ ( नवजुद्दीन सिद्दीकी ) !
वह मेडिकल रिसर्च और
इक्यूपमेंट्स के नाम पर घोटाले में लिप्त है और ‘डेविल ‘
उस से जुड़े हर शख्श को
लूट रहा है , अब हिमांशु भी उसके अगले शिकार के बारे में जानता है
और वह भी उसे
रोकने के लिए सज्ज है .फिर क्या होता है यही बाकी की कहानी है .
बस यही थी फिल्म की कहानी ! सलमान की
फिल्म है तो उनका सफल होना गारंटी है ,
यह भी सफल हो चुकी है ,किन्तु कहानी की
उम्मीद करना बेमानी होगी ,
आपको यदि मनोरंजन की उम्मीद है ( बिना लोजिक की ) तो हां
फिल्म आपको पसंद आयेगी !
किन्तु कुछ नया देखने की इच्छा हो तो निराशा ही हाथ लगेगी
.
फिल्म में किरदारों की बात करे तो ‘रणदीप हुड्डा ‘ ने बढ़िया अभिनय किया है !
‘नवजुद्दीन
‘ का भी एक सनकी व्यक्ति के रूप में अभिनय बढ़िया है !
किन्तु जबरदस्ती की बात बात
पर हंसी जरुर खीज पैदा करती है .सौरभ शुक्ल ,मिथुन ,विपिन शर्मा ,
आदि अपनी छोटी
छोटी भूमिकाओं में हंसा जाते है ! बाकी ख़ास जिक्र करने लायक रोल नहीं मिला है
इन्हें ,गानों की बात करे तो दो ही गाने चार्ट पर है ‘जुम्मे की रात ‘ और ‘यार न
मिले ‘ !
इसके अलावा सलमान द्वारा गाया गाना ‘हैंगओवर ‘ याद नहीं रहता !
स्टंट सिर्फ ट्रेलर में ही अच्छे लगे है ! फिल्म में बनावटी प्रतीत होते है ,
स्टंट सिर्फ ट्रेलर में ही अच्छे लगे है ! फिल्म में बनावटी प्रतीत होते है ,
फिर भी
फिल्म में सिर्फ सलमान का ही जलवा है ! या कहे ‘किक ‘ है .
जैकलिन का काम सिर्फ ‘देवीलाल ‘ को
प्रस्तुत करना ही भर था !
हां फिल्म को भावनात्मक रूप देने की कोशिश भी की गई है ‘देवीलाल
‘ के ‘डेविल ‘
बनने की वजह बताकर.
और फिल्म का यही एकमात्र दृश्य फिल्म
में स्थिरता ला देता है , ‘देवीलाल ‘
की भूमिका साबित करने में ही आधी फिल्म खत्म हो
जाती है !
इसे यदि सही से एडिट किया जाता तो फिल्म और चुस्त हो सकती थी ,
बहरहाल सलमान की फिल्म है तो सिर्फ मनोरंजन
की उम्मीद में जाईये !
ज्यादा उम्मीदे न पाले तो बेहतर रहेगा , हां एक्शन का मसाला
इसमें अवश्य कम मिलेगा
( एक्शन के नाम पर गाडिया उछालना ही मिलेगा ) .
ढाई स्टार
देवेन पाण्डेय
फ़िल्म में एक संवाद हैं कि मैं दिल 💘 में आता हूँ समझ में नहीं।
जवाब देंहटाएंबस फिल्म के लिए भी यही कह सकते हैं।
आज फिल्म देख चुका था पर आपकी समीक्षा जरूर पढ़ेंगे
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भीष्म जी
हटाएंसुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - 28 . 7 . 2014 को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंआशीष भाई धन्यवाद ! यह मेरी प्रथम समीक्षा होगी जो आपके चर्चा मंच पर सजह होगी ,मै अभिभूत हुवा .
हटाएंआपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 28 . 7 . 2014 दिन सोमवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आशीष भाई !
हटाएंsundar sameeksha .....vaise bhi action movies dekhna mere bas ki hi nahi ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद उपासना जी ! वैसे हम हर तरह की फिल्मे देखते है ,कोई विशेष कैटेगरी भी नहीं रखते पसंद की .
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