शनिवार, 29 नवंबर 2014

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फिल्म एक नजर में : ऊँगली


निर्माता : करन जौहर ,हीरू यश जौहर
कथा, निर्देशन :रेंसिल डिसिल्वा
कलाकार : इमरान हाशमी ,रणदीप हुडा ,कंगना रानौत ,
संजय दत्त ,नेहा धुपिया ,अंगद बेदी ,नील भुपालम .
धर्मा प्रोड्क्शन भी अब कुछ अरसे से थोड़ी लिक से हटकर फिल्मे बनाने पर ध्यान दे रहा है
 ज्जिसकी अगली कड़ी में इस हफ्ते रिलीज हुयी है ‘ऊँगली ‘! 
यह फिल्म काफी समय से बन रही थी और कुछ कारणों की वजह से प्रदर्शन में हद से
 अधिक देरी भी हुयी ,
जिसका असर फिल्म पर साफ़ नजर आता है .
कहानी : अभय ( रणदीप हूडा ) एक क्राईम न्यूज रिपोर्टर है ,
जो कुछ मित्रो के साथ मिलकर इस भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ गुप्त रूप से अभियान छेड़े हुए है ,
 ये खुद को ऊँगली गैंग के नाम से भी बुलाते है !
भ्रष्टाचार के खिलाफ इनकी लडाई से भ्रष्टाचारियो में भय व्याप्त है ,
और इनपर लगाम कसने के लिए एसीपी ‘अशोक काले ‘ ( संजय दत्त ) 
को नियुक्त किया जाता है ! काले इस गैंग की तह तक पहुँचने के लिए आपराधिक प्रवृत्ति के 
पुलिस ऑफिसर ‘निखिल ‘ ( इमरान हाशमी ) की सहायता लेता है ,
और उसे अपना अंडर कवर एजेंट बनाकर ऊँगली गैंग में भेजता है !
 निखिल ‘अभय ‘ का यकींन जीतकर उनकी गैंग में शामिल हो जाता है ,
किन्तु वह इनकी विचारधारा से प्रभावित होकर इनका साथ देता है ! 
काले निखिल से इसके लिए खफा है ,ललेकिन ईमानदार काले के 
जीवन में एक ऐसा पल आता है
 जो उसे इस भ्रष्ट तंत्र और उसकी बेबसी से रूबरू कराता है ,
फिर क्या होता है ,
घटनाए क्या मोड़ लेती है ,ऊँगली गैंग और निखिल की जुगलबंदी क्या क्या 
गुल खिलाती है ,
और कैसे काले इस भ्रष्ट व्यवस्था से लड़ता है ,यही बाकी कहानी है .
फिल्म की कहानी दिलचस्प जरुर है लेकिन प्रभाव नहीं छोड़ पाती !
 भ्रष्टाचार तो है लकिन उसकी गहराई नहीं है ,घटनाए अपेक्षित है और दर्शक पहले से ही 
होनेवाली बातो का अंदाजा लगा सकता है ! कहानी में ज्यादा घुमावदार पेंच नहीं है 
,सीधी सपाट कहानी है जो फिल्म को जटिल बनाने से रोकती है ,हल्की फुलकी फिल्म है 
जो समझ सके तो सन्देश भी देती है ! 
अभिनय की बात करे तो सभी ने अपने अपने चरित्र के अनुरूप अभिनय किया है ,
संतुलन बनाये रखा ,न कही लाउड और न कही औसत , 
संजय दत्त फिलहाल जेल में है किन्तु उनके हिस्से की शूटिंग पहली ही हो चुकी थी ! 
फिल्म में उनकी मौजूदगी एक नायक के बजाय एक चरित्र अभिनेता के तौर पर होती है ,ब
ढती उम्र चेहरे पर असर दिखा रही है और इसे स्वीकार करते हुए चरित्र अभिनेता के
 किरदार में नजर आना एक समझदारी भरा कदम है ,नेहा धूपिया छोटे से किरदार में है,
 जो सिर्फ कहानी में कुछ पल बढाने के ही काम आते है, कोई उल्लेखनीय नहीं ! 
यही हाल मेहमान कलाकर बने ‘अरुणोदय सिंग ‘ के लिए भी लागू होती है .
संगीत पक्ष कमजोर है ,जो फिल्म को बेवजह खींचती है ! 
खानापूर्ति कर दी गयी है बस .
ढाई स्टार
देवेन पाण्डेय 

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