मंगलवार, 29 जुलाई 2014

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तेज बरसात और खोज कॉमिक्स की !

बस डेपो पर भी बदलिया और बूंदा बांदी छाई रही 
जैसा के आज सुबह से योजना बना ली थी ! के आज 'कॉमिक्स ' की खोज
में मुंबई जाना है ,( वैसे अन्य कार्य भी था जिसे निपटाना था ) !
किन्तु घर से जब भी निकलने को हुये , बरखा रानी ने वापस घर में जाने पर विवश कर दिया .
काफी देर हो गई और करीब डेढ़ बजे बरसात शांत हुयी
हम निकले बस अड्डे की ओर ,बस अड्डे पर बरखा रानी फिर से
मेहरबान हो गई ! किसी तरह से भीगते भागते बस पकड़ी ! खुशकिस्मती से
सिट भी मिल गई ,और बैठे बैठे रास्ता पार कर लिए .
फिर पहुंचे स्टेशन ,बस स्टॉप से स्टेशन के बिच एक छोटी सी गली है !
वैसे भी मुंबई में एक हफ्ते से बरसात काफी जोरो पर है ! चार दिनों से तो निरंतर है .
इसी के चलते उस गली में जलभराव आम बात थी 'ठाणे' स्थित उस इलाके का नाम था 'कोलीवाडा '
ठाणे के 'कोलीवाडा ' इलाके में जलभराव से बचने का प्रयत्न करते लोग 
खैर किसी तरह से अन्य लोगो की तरह एडिया ऊँची कर करके आगे बढ़ने का प्रयत्न किये किन्तु आगे पानी का स्तर और ऊँचा हो गया तो हमने एडिया निचे कर ली ,
जो होगा देखा जायेगा ! और छपर छपर करते चलते गए छाता संभाले .
वैसे आम तौर पर 'छत्रपति शिवाजी टर्मिनस ' के लिए फ़ास्ट ट्रेन पकड़ना नाको चने चबाने जैसा है किन्तु दोपहर का वक्त था तो आसानी से स्टेशन पर पहुँचते ही इंडिकेटर ने ट्रेन के आने
की पूर्वसुचना दी ! और बरसात और जोरो की होने लगी ,ट्रेन में फिर भी कैसे बैसे चढ़े !
और धीरे धीरे ट्रेन गंतव्य की ओर चल पड़ी .
अचानक से याद आया के हमें 'घाटकोपर ' उतरना है
जिस काम के लिए गए थे वही भुल रहे थे ! सो हम घाटकोपर आने का इन्तेजार करते रहे !
'ठाणे' तक तो हल्की बूंदा बांदी थी ! किन्तु उसके बाद
बरसात पुरे शबाब पर थी .घाटकोपर पहुँचते पहुँचते
माहौल एकदम अंधकारमय हो गया ,मानो दोपहर के तीन नहीं बल्कि शाम के सात बज रहे हो .खैर काम निपटाया और दोबारा अपने मिशन की और बढे .
हल्की बूंदा बांदी में गंतव्य की और प्रस्थान 
और भारी बरसात के बावजुद हम अपने गंतव्य
की और बढ़ चुके थे ! पौने घंटे के सफ़र के बाद हम पहुँच गए 'सी एस टी ' ,और बढ़ चले पुस्तक मिलने वाली जगहों पर ,किन्तु बरसात इतनी तेज हो गई के चलना मुश्किल हो गया ! छाते को 'पोलियो ' होते होते बचा , फैशन स्ट्रीट की और बढ़ते कदम 'टाटा ' की इमारत की आड़ लेकर रुक गए ,जोरो की हवाए भी दस्तक दे रही थी ! सडक पार करना मुश्किल था इस तेज तूफानी बारिश में ,उस तूफ़ान और मुसलाधार बरसात में मै अकेला ही नहीं था जो उस इमारत की आड़ में खुद का बचाव कर रहा था ! अन्य भी लोग खड़े थे , हमारे सामने की सडक से कई लोग इस अंधड़ के बावजूद सडक पार करने की हिम्मत दिखा रहे थे ,
किन्तु इसका खामियाजा उन्हें उनकी छतरी को अपाहिज करके भुगतना पड़ रहा था ! सबसे बुरी गत तो एक मोहतरमा की थी ,बारिश एक दिशा से हो रही थी और तेज हवा भी ! उनका छाता उन्हें सडक पार करने देने के बजे हवा से सडक की दूसरी और खींचे जा रहा था .
अब देखा नहीं गया तो हमने चीख के सुझाव दिया के छाते को हवा के विपरीत नहीं बल्कि सामने पकडिये ,
उन्होंने ऐसा ही किया और रास्ता सकुशल पार कर लिया .
घाटकोपर में दोपहर तीन बजे का दृश्य 
 फिर बारी आई पुस्तको की ! तो काफी पूछताछ के बाद हमें आखिरकार हिंदी कॉमिक्स मिल ही गई !
यु तो विक्रेता के पास पूरा ढेर था ,किन्तु उसमे से अधिकतर तो मेरे पास पहले से ही थे ! इसलिए गिनी चुनी मात्र छह कॉमिक्स खरीद ली ,मात्र एक सौ बीस रूपये में .
अचानक नजर पड़ी 'इंद्रजाल कॉमिक्स ' पर ! आजकल ब्लैक मार्किटियो ने इसकी काफी कालाबाजारी कर रखी है .
पुस्तक को उठा कर देखा ,यह पहली इंद्रजाल थी जो मेरे हाथ में आई थी ! मूल्य था मात्र तीन रूपये ,किन्तु विक्रेता उसे सौ रूपये की बेच रहा था .
और कह रहा था के ये रेयर है ,इसके हिंदी अंक तो हजार हजार रूपये के बिकते है .
मैंने कहा भाई आप ही रखो इसे ,वैसे भी भी होगी यह रेयर लेकिन मेरे लिए इसके कोई मायने नहीं .
जितने में मै इसकी एक ले रहा हु ! उतने में तो मुझे छह हिंदी कॉमिक्स मिल रही है ! तो यह लेना कहा की समझदारी है ?
और अपनी कॉमिक्स उठा कर बैग में ठुंसी और चलता बना ! बरसात तो मानो आज रुकने का नाम नहीं ले रही थी .

 किन्तु हमें कोई फर्क नहीं पड़ना था अब , क्योकि मनचाही वस्तु मिल गई थी ! भले ही बरसात में पूरी तरह से तरबतर हो गया .
किन्तु इस भारी बरसात में  सफ़र मजेदार रहा काफी .

और मेरे मतलब की हिंदी कॉमिक्स 
इंद्रजाल के अंक जो मैंने छू कर रख दिए 

जो मैंने लिए 
हुतात्मा चौक में सवा चार बजे का दृश्य 

फैशन स्ट्रीट के पास का इलाका अंधड़ और बरसात 

छत्रियो को बचाते बचाते चलते लोग 

ये महाशय दो बार छाता उल्टा करवाने के बाद सडक पार किये 

इनके छाते के अंजर पंजर ढीले हो गए 


आजाद मैदान में जमा हुवा पानी !

'मरोल ' मेट्रो स्टेशन के निचे का दृश्य 
और आखिरकार घर पहुंचे ! किन्तु बरसात नहीं रुकी ,घर से बाहर देखने पर सडक जलमग्न दिखी 



1 टिप्पणी:

  1. Smart move, sirf puraani aur rare comics hone ke kaaran Indrajaal itni mehengi bikti hai, otherwise unki quality kisi laayak nahi hai..

    Rahul R Sharma

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