मंगलवार, 22 जुलाई 2014

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कॉमिक्स ट्रेंड एवं दीवाने फैन्स -भाग 3

चूँकि मै खुद एक कॉमिक्स प्रेमी हु ! और बढती उम्र के साथ मेरा यह जूनून दोबारा से लौटा है ,
किन्तु सोशल मीडिया के इस युग ने मुझे और भी लोगो से मिलने जुलने का मौक़ा दिया
जो जूनून की हद तक कॉमिक्स के दीवाने है !
मेरी अगली कुछ ब्लॉग पोस्ट्स इन्ही कॉमिक ट्रेंड दिवानो पर आधारीत होगी !
इस तहत मै इनके द्वारा लिखी गई फेसबुक पोस्ट्स को अपने ब्लॉग के जरिये शेयर करूँगा !
ताकि लोगो का यह भ्रम टूट सके के कॉमिक्स अभी भी बच्चो की चीज है !
ज्यादा भूमिका न बंधते हुए आपको सीधे मिलाते है उन फैन्स से
 जिनकी दीवानगी से आप प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाएंगे .
आशीष रस्तोगी ! और उनका कॉमिक्स प्रेम 
प्रथम है 'आशीष रस्तोगी ' ! उनकी दीवानगी उन्ही की शब्दों में !
प्रिय संजय गुप्ता जी और समस्त राज कॉमिक्स परिवार को मेरा 
सादर नमस्कार साथ ही आप सभी को क्रिसमस (बड़े दिन ) की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनायें !!!
" संजय जी !! राज कॉमिक्स मेरी प्रेरणा है और मैं राज कॉमिक्स का उस समय
 से नियमित पाठक हूँ जिस समय इसका मूल्य मात्र ४/ रुपये होता था. 
उस समय राज कॉमिक्स का प्रारम्भिक काल चल रहा था, और भूतकाल 
की कहानियाँ तथा जासूसी कहानियाँ आती थीं, और मेरे तहेरे, 
चचेरे भाई इनको किराये पर २५ पैसे प्रति कॉमिक्स की दर पर पढ़ने हेतु लाते थे,
एक् दिन मैने भी कॉमिक्स पढ़कर देखी, बड़ा मज़ा आया, गगन, 
विनाषदूत आदि सुपर हीरोज के आने के कुछ समय उपरांत राज कॉमिक्स
 में उदय हुआ सर्वशक्तिमान महान सुपरहीरो नागराज का, और फिर मस्तिष्क 
के महाराज सुपर कमाण्डो ध्रुव का !! 
बस तभी से मेरा राज कॉमिक्स के प्रति अखंड अमरप्रेम उत्पन्न हुआ 
मैं हर सेट को किराये पर लेकर पढ़ने लगा, लेकिन इसकी कहानियाँ
 इतनी रोचक और मनोरंजक होती थीं के बार बार पढ़ने का मन करता था. 
लेकिन हमारी आर्थिक स्थिति कमज़ोर थी, मेरे दादा जी बॅंक के ख़ज़ांची पद से रिटायर हो चुके थे
 और अपनी एक जनरल स्टोर की दुकान चलाते थे, पिताजी अध्यापन कर रहे थे . 
फिर भी कॉमिक्स के प्रति अपने प्रबल प्रेम के कारण मैने अपना जेब खर्च बचाकर 
कॉमिक्स खरीदकर उनका संग्रह करना शुरू किया, साल दर साल धीरे-धीरे
 मेरे पास खासा कॉमिक्स संग्रह हो गया, एक दिन मेरे दादा जी ने मुझे 
कॉमिक्सों को दुकान पर रखकर किराये पर चलाने का सुझाव दिया, 
बात मेरी सांझ में आ गयी और मैने ऐसा ही किया. 
अब कॉमिक्सों से होने वाली आय द्वारा ही मैं नयी कोमिक्से खरीदने लगा, 
जिससे मेरा जेबखर्च भी बच जाता और हमारी आर्थिक सहायता भी हो जाती, 
हर नया सेट डीलर द्वारा सबसे पहले मेरे पास आता था और नये सेट की मेरे पास एडवांस बुकिंग रहती थी, कभी कभी तो मुझे नये सेट की तीन तीन प्रतियाँ लेनी पड़ती थी. 
जिस समय मैने अपना ये पुस्तकालय प्रारभ किया तब मैं पांचवीं कक्षा का विद्यार्थी था 
स्कूल से बचा बाकी टाइम मैं दुकान पर देता और रात में अपनी पढ़ाई करता था , 
मैने अपना ये पुस्तकालय ७वर्ष तक लगातार चलाया, फिर दादा जी के देहावसान के 
बाद जब मैं १२ वीं कक्षा में था तब घरवालों की सख्ती के कारण पढ़ाई पर ध्यान 
देने हेतु मुझे अपने हृदय पर पत्थर रखकर अपना कॉमिक्स संग्रह विक्रय करना पड़ा , 
वो मेरी ज़िंदगी का एक अत्यंत दुखद और कठोर लम्हा था, 
लेकिन फिर भी मैने अपनी कुछ चुनिंदा और उत्तम कोमिक्से बचा लीं थी, 
राज कॉमिक्स के प्रति मेरा प्रेम अटूट था इसलिये मैने नये सेट की चुनिंदा 
कोमिक्से खरीदना जारी रखा और दोबारा अपना संग्रह बनाया जिसका छायाचित्र
 (करेंट फोटो )आपको भेज रहा हूँ.
लेकिन उस दौर में पहले जिस सरलता से कॉमिक्स उपलब्ध थी वैसे आज नहीं हैं
 क्योकि वीडीओ गेम्स और इंटरनेट के चलन से इसके व्यवसाय पर बहुत असर पढ़ा
 और धीरे- धीरे कई प्रकाशन केन्द्र बंद हो गये, केवल राज कॉमिक्स ही अपनी उत्कृष्ट
 और अनोखी ज्ञानवर्धक प्रेरणादायक कहानियों तथा राज कॉमिक्स के दीवाने पाठक प्रेमियों के कारण बच पायी है. 
लेकिन आज इस मंहगाई के दौर में कच्चे माल की बढ़ती लागत के कारण 
कॉमिक्स के मूल्य भी आसमान छू रहे हैं जिसके कारण कॉमिक्स खरीदना 
हर पाठक के लिये सहज नहीं है और हर जगह सरलता से उप्लब्ध भी नहीं है मुझे भी
 इस साल से ऑन लाइन स्टोर से ही ऑर्डर करके लेनी पढ रही है
वर्षों गुजर गए किन्तु मेरा कॉमिक्स प्रेम अभी तक कायम है और हमेशा रहेगा मैं अपने अंदर के बच्चे को कभी बड़ा नहीं होने दुंगा ,
संजय सर !!!!!!!! आजकल राज कॉमिक्स से वो पुराना मज़ा गायब है, 
फिर भी कहानिया अत्यंत प्रभावशाली,गूढ और मनोरंजक होती हैं
लेकिन "सर्वनायक" सीरीज में आपने सभी नायकों को एकत्रित करके उन 
पुरानी यादों को फिर से जीवंत कर दिया है,मेरा सपना था की भोकाल और
 नागराज एक साथ आयें या फिर ऐसा हो के भोकाल का पुनर्जन्म नागराज
 के रूप में हो और किसी अवसर विशेष पर भोकाल शक्ति नागराज को मिल जाये,
 खैर "सर्वनायक" राज कॉमिक्स की सर्वोत्तम भेंट है इसकी उत्सुकता " नागायण" 
सीरीज की भांति बनी रहेगी बस आप थोडा आर्टवर्क पर विशेष ध्यान दीजिये, 
खासकर नायकों की शारीरिक बनावट और चेहरों पर !! "सर्वयुगम" पढकर 
निराशा हुई ये अपने आधारखंड " युगांधर " के सामने निर्बल रह गया, आशा है 
की आगामी खंड " सर्वदमन " निराश नहीं करेगा, बस कृप्या आप इस महानतम
 श्रंखला को ज्यादा लंबा ना खीचें और जल्दी जल्दी इसके आगामी भाग प्रकाशित करें अंत में 
सुनील कुमार द्वारा उनके घर की बाहरी दीवारों पर बनाये उनके चित्र 
आपको और समस्त राज कॉमिक्स परिवार को मेरी ओर से " युगम धरित्री अस्यः "!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
राज कॉमिक्स है मेरा जुनून
"आशीष रस्तोगी "
अगले दीवाने है ''सुनील कुमार ' जी ! जिन्होंने अपने कॉमिक्स प्रेम डूबकर 
अपने घर की दीवारों को ही कॉमिक्स प्रेम का जरिया बना लिया और अपने कॉमिक्स पात्र 
को दिवार का हिस्सा बना लिया उन्हें चित्रित करके ! इनका उद्देश्य है के लोग 
इन चित्रों से उत्सुक होकर इन पात्रो के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने का प्रयत्न करे ! 
सुनील कुमार द्वारा उनके घर की बाहरी दीवारों पर बनाये उनके चित्र 


राजिव रोशन 
 —कॉमिक्स फैन राजिव रोशन जी के शब्द 
मुझे लगता है की मैं बहुत छोटा सा प्रशंसक हूँ कॉमिक वर्ल्ड का लेकिन हूँ तो सही| 
अपनी पुस्तक पढने की शुरुआत तो मैंने इसी ट्रेंड से की थी| हाँ, मुझे अब भी अच्छी तरह याद है, 
मेरे घर के करीब ही मेरा के मित्र कॉमिक्स की दूकान लगाता था और कॉमिक्स 
को किराए पर दिया करता था (अब उसने ऐसा करना बंद कर दिया है)| मेरा एक मित्र राजेश
 शर्मा जो कॉमिक्स पढने का शौक़ीन था उसने मुझे कॉमिक्स पढने की आदत लगाईं और 
मैं इसके लिए उसका तहे दिल से जिन्दगी भर शुक्रगुजार रहूँगा| अब वैसे मैंने कॉमिक्स पढना
 बंद किया हुआ है लेकिन दिल तो हमेशा बच्चा ही रहता है| इसलिए आप सभी के साथ जुड़ा हुआ, 
ताकि भविष्य में ऐसा न लगे की मैंने अपने बचपन को खो ही दिया है|
आइये "डोगा दिवस" पर डोगा के बारे में बात करते हैं भारतीय कॉमिक्स किरदारों में "डोगा" 
एक ऐसा किरदार बनकर उभरा जिसे वर्ग के पाठकों ने पसंद किया| हालांकि 
दुसरे कॉमिक किरदारों की तुलना में डोगा के कॉमिक्स में हिंसा की अधिकता रहती थी 
लेकिन हम भारतीय पाठक वर्ग भी हिंसा को मनोरंजन का हिस्सा मानते हैं|
जब मैंने पहली बार डोगा का कॉमिक्स पढ़ा था (याद नहीं कौन सा था), 
तो मुझे यह किरदार बहुत पसंद आया था| मुझे डोगा का कांसेप्ट बहुत पसंद आया 
क्यूंकि इस कांसेप्ट पर क्या कभी किसी ने सोचा होगा| मुझे ख़ुशी हुई थी की यह 
कम से कम वैम्पायर और भेड़िया जैसा किरदार तो नहीं है जो की कल्पनाओं से परे था| 
अजीब लगता था यह जानकार की एक वैम्पायर ने जब इंसान को काटा तो वाह भी वैम्पायर बन गया| 
शुक्र था की "डोगा" ऐसा नहीं था|
एक समाज के व्यक्ति का समाज के अपराधिक तत्वों के खिलाफ ओढा गया लबादा था "डोगा"| 
डोगा वह किरदार है, जिसे मैं बैटमैन से तुलना कर सकता हूँ| जिस प्रकार से अन्तराष्ट्रीय स्तर पर बैटमैन अपना स्थान बनाता है वैस ही डोगा का स्थान भारतीय पाठकों के बीच है|
क्यूंकि ८-१० वर्ष हो चुके हैं कॉमिक्स को पढ़े हुए , इसलिए इससे अधिक साझा नहीं कर पाउँगा|
आभार
राजीव रोशन

( ''कॉमिक्स ट्रेंड एवं दीवाने फैन्स'' जारी है अगली कड़ीयो में )

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपका यह प्रयास अत्यंत सराहनीय और सम्माननीय है देवेन भाई!! आपके इस प्रेम , स्नेह और सम्मान से मेरा हृदय भावविभोर हो उठा हैं आँखें छलछला आई हैं , मैं गदगद हो गया !!! आपको हार्दिक साधुवाद एवं धन्यवाद !!!

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