बॉलीवुड के मिजाज आजकल बदले
बदले से है , जहा कुछ फूहड़ और अर्थहीन फिल्मो ने गंद मचा रखी है ( और दर्शको ने उन
फिल्मो को पानी पिला कर जवाब भी दे दिया के अब वे गंदगी से उब चुके है )
वही कुछ फिल्मे राहत का
कार्य करती है ,हाल ही में सत्यघटनाओ एवं रियल हीरोज पर फिल्म बनाने के चलन ने जोर
पकड़ा है जो के एक अच्छी बात है !
ऐसी कितनी घटनाये है जो
हमें भारतीयता का अहसास कराती है
और मन को गर्व से भर देती है !
ताजा उदाहरण है अक्षय कुमार
की “एयरलिफ्ट ‘’ का जिसने न सिर्फ सफलता प्राप्त की
बल्कि लोगो का प्यार भी मिला
,और दर्शक एक भूला दिये गए घटना से रूबरू भी हुए .
ऐसे ही विषय पर आधारीत है ‘’नीरजा
‘’ जो एक सत्यघटना पर आधारित है !
फिल्म बायोपिक नहीं है ,केंद्र में केवल 5 सितम्बर
1986 को हुयी पैन एम्
एयरलाइंस हाईजैक की ही घटना है .
कहानी : नीरजा ( सोनम कपूर
) पैन एम् एयरलाईन्स में फ्लाईट अटेंडेंट है ,
वह काफी खुशमिजाज है , शादी में मिली
नाकामी के बावजूद उसने हार नहीं मानी है , वह एक मॉडल भी है ,और घर परीवार के साथ
साथ सभी की चहेती है , उसकी जिन्दगी बदल जाती है एक घटना से न्युयोर्क के लिए रवाना फ्लाईट का कराची में फलिस्तीनी उग्रवादियों द्वारा अपहरण
कर लिया जाता है , जिसमे नीरजा फ्लाईट अटेंडेंट है , लेकिन नीरजा अपनी सुझबूझ से
पयिलेट्स को आगाह कर देती है ,और पयिलेट्स को वहा से भाग निकलने का मौका मिल जाता
है .
अब पयिलेट्स न होने की वजह
से उग्रवादियों के प्लान पर पानी फिर गया और वे कराची में ही रहने पर मजबूर हो गए
! इसी गुस्से में वे अमरीकी प्रवासियों को मारने के निर्णय करते हैलेकिन नीरजा समझदारी
दिखाते हुए सभी अमिरिकियो के पासपोर्ट छिपा लेती है .
नीरजा का पयिलेट्स को फरार
करवाने का मकसद ही यही था के फ्लाईट टेक ऑफ़ न करे और सुरक्षा एजेंसियों को कार्यरत
होने के लिए समय मिल सके .
सारी फ्लाईट में तनाव का
माहौल है , और आतंकवादी भी उग्र हो चुके है ! ऐसे में किसी मासूम की जान न जाये
इसके लिए नीरजा प्रयासरत रहती है .
फिर क्या होता है यह सभी
जानते है ! आतंकवादियो से अकेले ही लोहा लेती यह २३ साल की लडकी फिर पाकिस्तान
,भारत ,अमरीका की हीरो बन जाती है ,
चूँकि यह सत्यघटना पर
आधारित है ,इसलिए इसमें क्रिएटिव छूट का दुरूपयोग बिलकुल भी नहीं किया गया है ,
फिल्म का ट्रीटमेंट आपको सारी घटना आपके समक्ष होने का अहसास दिलाती है और वाकई
डराती हा ! सोनम कपूर ने नीरजा के किरदार में बेहतरीन अभिनय किया ( जिसकी उन्हें
जरुरत थी )
नीरजा ने सबसे कम उम्र में भारत
का सर्वोचक सम्मान ‘’अशोक चक्र ‘’’ मरणोपरांत प्राप्त किया ,यह पहली बार था जब
अशोक चक्र किसी महिला को मिला , और पहली बार इतनी कम उम्र पर मिला .
पाकिस्तान और अमरीकी सरकार
ने भी उन्हें ‘’तमगा ए इंसानियत ‘’ और ‘’ जस्टिस फॉर क्राईम ‘ अवार्ड से सम्मानित
किया ,
फिल्म में गीत संगीत न के
बराबर है ,जो भी है वह फिल्म के ट्रीटमेंट के अनुरूप ही हल्का फुल्का है .
एक्टिंग सभी की बढ़िया है
भले वो शबाना अजमी हो या नीरजा के परिवार के सदस्य , यहाँ तक की आतंकी की भूमिका
करनेवाले कलाकार भी खौफ पैदा करने में कामयाब रहे है .
फिल्म में फ्लैशबैक्स भी है
,जिनसे कहानी को गति ही मिलती है ! और विस्तार भी .
कुछ फिल्मे स्टार्स से परे
होती है जिन्हें किसी समीक्षा की जरूरत नहीं होती ! यह उन्ही में से एक है .
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " 'नीरजा' - एक वास्तविक नायिका की काल्पनिक लघु कथा " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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