रविवार, 6 मार्च 2016

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फिल्म एक नजर में : लंडन हैज फॉलेन .


कुछ अरसे पहले दो फिल्मे एक ही विषय पर आई थी , ओलंपियस
हैज फॉलेन ,और रोलेंड एम्मरिक की ‘’व्हाईट हाउस डाउन ‘’ जिनमे अमरीका एवं  व्हाईट हाउस पर हुवा हमला केंद्र में था ,दोनों में से ओलम्पियस हैज फॉलेन शानदार बनी थी , उसी की अगली कड़ी है ‘’लंडन हैज फॉलेन’’
कहानी : अमरीकी ड्रोन हमले में एक आतंकवादी सरगना का परिवार मारा जाता है ,और वह अमरीकी सरकार को सबक सिखाने की ठान लेता है ,
वही व्हाईट हाउस पर हुए हमले के बाद से परिवार की चिंता में प्रेजिडेंट का स्पेशल फ़ोर्स एजेंट ‘माइक बैनिंग ( गेरार्ड बटलर ) अब इस्तीफा देने के विचार में है ,
इसी बिच लंडन के प्रेजिडेंट की दिल के दौरे से मृत्यु हो जाती है और उनकी शोकसभा में हिस्सा लेने के लिए कई देशो के प्रेजिडेंट ब्रिटेन आ रहे है l जिनमे अमरीकी प्रेजिडेंट ‘’बेंजामिन अशर ( एरोन एकहर्ट ) भी शिरकत करते है , अमरीकी सुरक्षा एजेंसिया किसी भी गडबडी के लिए मुस्तैद है ,और  माईक को वापस ड्यूटी पर आना पड़ता है ,
लेकिन लंडन पहुंचते ही भीषण और सुनियोजित आतंकवादी हमले होते है ,
 शहर में अफरातफरी मच जाती है और देखते ही देखते अलग अलग आतंकवादी हमलो की श्रुंखलाओ में पांच देशो के प्रेजिडेंट मारे जाते है , 
इस भीषण हमले से पूरा विश्व सकते है !
माईक इस हमले में किसी तरह से अमरीकी प्रेजिडेंट को बचा तो लेता है
 किन्तु अब लंडन सुरक्षित नहीं रह गया है ,संचार व्यवस्था ठप्प है ,
ब्रिटेन सुरक्षा विभाग के अंदर तक आतंकवादी गुप्त रूप से मौजूद है 
और लंडन अब एक युद्ध का मैदान बन चूका है , 
सारे आतंकवादी और गद्दारों को अमरीकी प्रेजिडेंट की तलाश है , 
अब माईक अकेला है और उसपर है सबसे बड़ी जिम्मेदारी ,फिर क्या होता है
 यह कहानी का अगला हिस्सा है .
माईक के रूप में गेरार्ड पिछली भूमिका के विस्तार में है और फिल्म का केंद्र भी वही है ,
आतंकवादी हमलो की भीषणता देख एक बारगी दर्शक भी हतप्रभ रह जाता है, 
यही बात हजम नहीं होती ! 
जहा अनेक देशो के प्रेजिडेंट होंगे वहा सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी होगी ,
उनके खुद के सुरक्षा एजेंट्स भी होंगे , ऐसे में कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता !
 यह बात तर्क से परे है के अचानक ही इतनी सुरक्षा व्यवस्था और
 प्रेजिडेंट्स की मौजूदगी में हर सडक , हर आतंकवादी हर गद्दार के हाथो में एके सैतालिस ,
ग्रेनेड ,रोकेट लौन्चर , विस्फोटक और अत्याधुनिक हथियार आ जाते है ,
वो भी बिना किसी की नजर में आये ! किन्तु कहानी को दिखाना ही था ब्रिटेन में अमरीकी प्रेजिडेंट पर हमले के रूप में ,तो इतनी छूट वो भी होलीवूड़ में ,चलता है .
आतंकवादी हमलो के दृश्य कमाल के बने है ,पिछले भाग को देखते हुए इसमें जबर्दस्त एक्शन की उम्मीद थी ,लेकिन इस मामले में फिल्म थोड़ी उन्नीस रह गई , क्लाईमैक्स में आतंकवादियों से गन टू गन एनकाउंटर एकदम किसी विडिओ गेम की तरह बने है , रोमांचक .
एक्शन प्रेमियों के लिए है फिल्म तो एक बार तो देख ही सकते है .
तीन स्टार
देवेन पाण्डेय

  

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