मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

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तांडव : शार्ट फिल्म समीक्षा

यूट्यूब पर मनोज बाजपेयी की एक शोर्ट फिल रिलीज हुयी है जिसे बनाया है muvizz.com ने .
गयारह मिनट की इस फिल्म में व्यक्ति की मनोदशा दिखाई गयी है , जिसे अपनी इमानदारी और जमीर को जिन्दा बनाये रखने के लिए कड़ी मानसिक जद्दोजहद करनी पडती है .
ताम्बे एक हेड कॉन्स्टेबल है ( मनोज बाजपेयी ) जो इमानदार कॉन्स्टेबल है ,किन्तु उसकी इमानदारी उसके लिए अभिशाप भी है ! वह अपनी जरूरते पूरी नहीं कर सकता , परिवार को बेहतर भविष्य नहीं दे सकता ! अपनी बेटी को उज्वल भविष्य देने के लिए प्रयासरत ताम्बे के सामने समस्या आती है बेटी के एडमिशन की ,जिसके लिए पांच लाख की आवश्यकता है .
और संयोग से एक मुठभेड़ में बारह लाख रूपये हाथ लगते है ,इतना पैसा देखकर कर मातहतों का ईमान डोल जाता है और सभी ताम्बे को सलाह देते है पैसे बाँट लेने की ! ताम्बे का मन  भी कशमकश में फंसा हुवा है , लेकिन वह मन कड़ा करके पैसा थाणे में जमा करवा देता है जिससे मातहत तो नाराज है ही साथ ही पत्नी भी क्रोधित है के हाथ आया हुवा पैसा छोड़ दिया .
अब ताम्बे तनाव में है ,इमानदारी और बेईमानी के बिच पिस रहा है ! वह फैसला नहीं कर पा रहा है के उसने सही किया या गलत .
उसकी ड्यूटी गणेश विसर्जन पर लगी हुयी है ,हर ओर ढोल ताशे नगाड़े उत्सव हो रहा है , हर कोई उल्लास में दिल खोल कर झूम रहा है , बाहर के शोर में भी ताम्बे का मन  का शोर कम नहीं हो रहा  .अवसाद हावी होने लगता है और अपने आपे से बाहर निकल कर ताम्बे भी इस उल्लास में शामिल हो जाता है बगैर अपने पद की परवाह किये , उसे खुद पता नहीं चलता के उसके कदम क्यों बहकने लगे है ,उस पल वह इमानदारी और बेईमानी से दूर हो जाता है , आम आदमी की समस्याओ को भुल जाता है ,घर परिवार का अवसाद भी भुल जाता है ,केवल रहता है तो उसका मन जो उसे सब भुल कर झुमने पर विवश कर देता है , और जी खोल कर मन का उन्माद शांत करता है .
उसके विडिओ वायरल हो जाते है ,और सस्पेंशन झेलना पड़ता है , वह घर पर आता है और अपने बीवी बच्चो को खुद का विडिओ देखते हुए पाता है ! वह उनकी मुस्कान देख कर खुश हो जाता है .
बढ़िया शोर्ट फिल्म है , बिना अधिक संवादों के केवल दृश्यों से बहुत कुछ कह जाती है ! मनोज बाजपेयी कमाल के अभिनेता तो है ही .


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