एस
राजामौली इ ऐसे निर्माता निर्देशक है जिनकी फिल्मो की प्रतीक्षा केवल टोलीवूड
ही
नहीं अपितु हिंदी दर्शक भी बेसब्री से करता है ,
उनकी पिछली फिल्मो के बारे में कुछ
कहने की जरुरत नहीं है !
बाहुबली
जैसी वरिश्द कथानक देने के पश्चात उनका नाम इसी फिल्म से जाना जायेगा
यह कहना कोई
आतिश्योक्ति नहीं होगी .
बोलीवूड को न जाने कब ऐसा सौभाग्य
प्राप्त होगा .
कहानी
है एक ऐसे बालक की जो एक काबिले में पला बढ़ा है जो एक
विशालकाय गगनचुम्बी जलप्रपात
के परीसर में रहता है , उस बालक ‘शिविडू ‘
( प्रभास ) के मन में हमेशा से उस
जलप्रपात का आकर्षण बना हुवा है ,
वो उस जलप्रपात के ऊपर जाकर देखना चाहता है के
वहा कौन रहता है और
उसका उनसे क्या संबंध है ! उसकी माँ उसके इस व्यवहार से परेशान
है और उसे प्रपात
पर न जाने देने के लिए लिए तरह तरह यत्न करती है !
किन्तु एक दिन ‘शिविडू
‘ अपने प्रयत्न में सफल होता है और जलपर्वत के ऊपर पहुँच जाता है ,
वहा उसकी भेंट
होती है ‘अवन्तिका ‘ ( तमन्ना ) से जो एक विद्रोही है,
और एक विद्रोही संगठन से
जुडी हुयी है जिनका राज्य ‘महिष्मति ‘
गुलामी की अवस्था में है और उनपर क्रूर शाषक
‘भल्लालदेव ‘ ( राणा दागुबति ) का राज है ,
शिविडू को अवन्तिका से प्रेम हो जाता
है और इसी के साथ उसका संबंध भी खुलता है ,
वह महिष्मती राजपरिवार का वंशज है और
उसके पिता ‘बाहुबली ‘ के राज्य के
साथ ही उसकी ‘माँ ‘ ‘देवसेना ‘ ( अनुष्का ) को भी भल्लालदेव से स्वतंत्र कराना अब उसकी
जिम्मेदारी है ! और यहाँ से खुलता है माहिष्मती इतिहास का रक्तिम अध्याय ,
जो
शिविडू के अतीत के साथ उसके वर्तमान को भी प्रभावित करता है ,
अब आगे क्या होगा यह
प्रश्न तो मात्र एक शुरुवात है !
फिल्म
की कहानी एक विचित्र मोड़ पर आकर खत्म होती है ,
दुसरा भाग २०१६ में आना है जिसके
पश्चात अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे !
सबसे
पहले बात करूँगा फिल्म के ग्राफिक्स की ,जो इतने लाजवाब है के
आपको लगेगा ही नहीं
के आप कोई भारतीय फिल्म देख रहे है !
फिल्म के शुरुवाती दृश्यों में विहंगम
जलप्रपात का दृश्य देखते ही हृदय कांप उठता है ,
अलौकिक सुन्दरता अप्रतिम दृश्य के दर्शक
उस मनोरम वातवरण में खो जाए !
फिल्म का फिल्म का प्रथम भाग थोडा सुस्त लगता है ,
किन्तु मध्यांतर के पश्चात
फिल्म द्रुत गति से आगे बढती है, फिल्म के अंत में
बाहुबली और उसके भाई ‘भल्लाल देव ‘
की एक आदिम काबिले की विशालकाय सेना के साथ युद्ध के दृश्य आपको
होलीवूड के समकक्ष
दीखते है ,कुछ जगहो पर चर्चा थी के इसके युद्ध दृश्य हाल ही में आई
‘हरक्युलिस ‘
के युद्ध दृश्यों से प्रभावित है ! किन्तु
आप फिल्म देखिये और आपको यह महसूस होगा के युद्ध के दृश्य होलीवूड की उस फिल्म के
दृश्य से कई गुना अधिक प्रभावी है बेहतरीन है !
वैसे भी यह फिल्म काफी वर्षो से बन
रही है और इसकी तुलना इससे नहीं की जा सकती !
कुछ दृश्यों में एवं स्टंट्स में
अंग्रेजी फिल्म 300 की झलक दिखती है ,
किन्तु उनकी संख्या नगण्य है ,आसानी से
नजरअंदाज कर सकते है !
फिल्म
की लागत का 85 प्रतिशत भाग फिल्म के ग्राफिक्स पर खर्च किया गया
जिसका असार परदे
पर साफ़ दिखता है और उसकी भव्यता झलकती है !
आजकल थ्रीडी फिल्मो का चलन भी जोर पकड रहा है
किन्तु यह फिल्म बिना थ्रीडी
के भी बेहतरीन लगती है जिसे किसी थ्रीडी टेक्नोलोजी
की जरुरत नहीं है !
फिल्म का कमजोर पक्ष केवल इसके गीत कह सकते है
( जो शायद हिंदी
डब के कारण उकताहट भरे प्रतीत होते है ) जो न केवल फिल्म को बेवजह
खींचते है बल्कि
फिल्म की गति को भी बाधित करते है,केवल कैलाश खेर एवं शान के गाये गाने ही नेपथ्य
में जमते है जो कहानी को आगे बढाते है !
एक्टिंग
में प्रभास ,राणा प्रभावी रहे है तो अनुष्का एकदम अलग और ग्लैमर लैस किरदार में है
,
तमन्ना का एक अलग रूप देखने को मिलता है किन्तु कही कही अति
की शिकार हो गयी
लगता है ,’कट्प्पा ‘ के रूप में अभिनेता ‘सत्यराज ‘ भी प्रभावित करते है ,
एक
किरदार के जिक्र के बगैर फिल्म अधूरी है वो है महारानी बनी ‘राम्या कृष्णन ‘
जो एक
क्रूर महरानी से कब एक ममतामयी माँ में तब्दील हो जाती है इसका पता ही नहीं चलता
!,
जो एक तरफ से कुशल राजनीतीज्ञ है तो दूसरी ओर सौम्य हृदय माँ .
एक
ख़ास बात और हाल ही मे रिलीज हुई 'जुरासिक
वर्ल्ड' और 'बाहुबली' फिल्मों मे एक ही विजुअल इफैक्ट टीम ने काम किया
है ! बाहुबली को 4000 सिनेमा घरों मे रिलीज किया गया है जिनमें 135 अकेले अमेरिका मे हैं बाहुबली स्क्रीन काउंट के लिहाज से अब तक की
सबसे बड़ी डबिंग की गई फिल्म है, बाहुबली फिल्म ऐसी पहली भारतीय फिल्म है जो भाषा
के बंधन को तोड़कर पूरे देश में चर्चा एवं उत्सुकता बनाने में सफल हुयी है ,ओपनिंग
के लिहाज से ये भारतीय फिल्मो की सबसे बड़ी ओपनिंग है ! पहले दिन के आंकड़े 60 करोड़
से 75 करोड़ तक बताये जा रहे है ,यदि यह सत्य है तो शायद ही कोई और भारतीय फिल्म
अरसे तक इस रिकॉर्ड को ध्वस्त कर पाये .
फिल्म दो भागो में बनी है जिस कारण कथानक
सम्पूर्ण नहीं है , और यह मात्र शुरुवात थी ! जब शुरुवात ऐसी है तो अंत कैसा होगा
? यह उत्सुकता का विषय है .
कुल मिला कर एक भरपूर पैसा वसूल फिल्म है ,जिसे
निसंकोच होकर देखा जा सकता है !
मनोरंजन के लिहाज से और ग्राफिक्स के लिहाज से
फिल्म को पांच में से पांच अंकन देने का कोई कारण नजर नहीं आता .
देवेन पाण्डेय
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जवाब देंहटाएंबढ़िया रिव्यु देवेन भाई👍 , एक सुझाव है रिव्यु लिखने से पहले 'स्पॉइलर अलर्ट' भी लिख दिया करो क्योंकि फिल्लम की आधी से ज्यादा कहानी तो आपने रिव्यु में ही लिख डाली।अब फटाफट सेकंड पार्ट का रिव्यु भी लिख डालो😁
जवाब देंहटाएंbahut umda Deven ji, shandar film ka behtareen review
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