फिल्म एक नजर में : अब तक छप्पन 2
अपनी मूल फिल्म ‘अब तक छप्पन ‘ के गयारह साल पश्चात फिल्म आगे बढ़ी है
!
जिसे आगे बढ़ाते है नए निर्देशक ‘ एजाज गुलाब ‘ !
इनका स्टाईल भी काफी हद तक रामू
से ही मिलता जुलता है ,
जैसे अजीब अजीब कैमरा एंगल्स ,या डार्क थीम !
फिल्म की कहानी मूल फिल्म के ठीक बाद से शुरू होती है ,
जब ‘साधू अगाशे
‘ ( नाना पाटेकर ) अपनी पुलिस की नौकरी से रिटायर होकर
( या निलंबित किये जाने के
बाद ) एक ग्रामीण इलाके में अपने जवान बेटे के साथ
शांत माहौल में बसे हुए है ,अपनी
पत्नी को खोने के बाद साधू अपने बेटे के लिए सारी
दुनिया से मुंह मोडकर बैठे हुए
है .
इधर मुंबई के बिगड़े हुए हालत और बढ़ते क्राईम रेट को देखकर स्टेट मिनिस्टर
‘अन्ना
साहेब ‘ होम मिनिस्टर ‘जनार्दन जागीरदार ‘
( विक्रम गोखले ) को दोबारा
‘साधू ‘ को डिपार्टमेंट में लेने के लिए कहते है .
पहले पहल तो साधू दोबारा उस दुनिया में आने के लिए राजी नहीं होता !
किन्तु बेटे के शब्दों से प्रभावित होकर वह दुबारा डिपार्टमेंट ज्वाइन करता है ,
और
फिर शुरू होता है मुंबई के क्राईम ओर्गनाईजेशन के मुखिया ‘रउफ ‘ ( राज जुत्शी )
एवं डिपार्टमेंट का संचालन अपने हाथ में लिए ‘साधू ‘ के बिच युद्ध ,
तब साधू को
पता चलता है के इन सबकी जड़े हमारी व्यवस्था में गहरी जमी हुयी है ,
जिसे उखाड़ना
आसान नहीं है ,इसका नतीजा क्या निकलता है यह फिल्म का शेष भाग है !
नाना पाटेकर ऐसे अभिनेता है जो दर्जनों फिल्म में नज्र्र आने की
बजाय
चुनिंदा फिल्मो में नजर आना ज्यादा पसंद करते है !
यही वजह है के उनकी हर फिल्म उनके
फ़िल्मी कैरियर में एक मिल का पत्थर बनती चली जाती है ,
सहज और स्वाभाविक अभिनय ,
उनका सनकीपन ,गुस्सा ,सभी उभरकर सामने आता है !
गुल पनाग की भूमिका ज्यादा बड़ी नहीं है ,किन्तु असरदार है !
आशुतोष
राणा जमे है किन्तु नाना के आगे उभर नहीं पाए !
फिल्म की कहानी कई बार सुनी सुनाई कहानी है ,किन्तु इसे अलग बनाते है
नाना पाटेकर ,
फिल्म चुस्त है सिर्फ शुरुवाती कुछ पल थोड़ी उकताहट भरे है ,
किन्तु
साधू के ड्यूटी ज्वाइन करते ही फिल्म में गति आ जाती है !
फिल्म का क्लाईमेक्स दोहराव लिए हुए है ,जिससे शायद बचा जा सकता था !
कुल मिला कर बढ़िया फिल्म है ,जिसे एक बार तो देखा ही जा सकता है !
ढाई स्टार
देवेन पाण्डेय
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