रविवार, 4 जनवरी 2015

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फिल्म एक नजर में ( क्लासिक्स ) : गाईड ( १९६५ )


निर्देशन:
विजय आनंद
निर्माता:
देव आनंद
कलाकार:
देव आनंद, वहीदा रहमान, किशोर साहू,लीला चिटनिस
लेखक:
आर. के. नारायण (उपन्यास)
संगीत:
एस.डी.बर्मन


यह फिल्म भारतीय फिल्म के इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जाती है ,
फिल्म ‘आर के नारायण ‘ की पुस्तक ‘’दी गाईड ‘’ पर आधारित है !
फिल्म की शुरवात होती है ‘राजू ‘( देव आनंद ) की जेल रिहाई से ,
उसकी बीती जिन्दगी काफी त्रासद रही है ,उसने अपने अपनों को काफी तकलीफ दी है ! 
इसलिए वह दुबारा अपनी बीती जिन्दगी में लौट के नहीं आना चाहता और जेल से रिहा
 होकर खानाबदोशो की तरह यहाँ से वहा भटकता रहता है !
राजू एक गाईड था ,जिसका अपना रुतबा था ! एक दिन राजू की मुलाक़ात
 ‘’रोजी ‘’(वहीदा रहमान ) से होती है , जो एक पुरातत्ववेत्ता ‘’मार्को ‘’ की पत्नी है ! रोजी का अपना अतीत है जिसे वह छिपाना चाहती है ,वह एक देवदासी की बेटी है ,और उसकी माँ नहीं चाहती के उसकी बेटी भी बदनामी का जीवन जिए ,इसलिए वह उसकी शादी एक ऊँचे घराने में करवा देती है ,रोजी का पति मार्को रुतबे वाला व्यक्ति है ,जिसके पास सबकुछ है ! रोजी को उससे शादी करके इज्जत ,पैसा ,तो मिलता है लेकिन प्यार नही मिलता ! मार्को को नृत्य से नफरत है और वह इसे बाजारू औरतो का पेशा मानता है ,जिसके  रोजी को नृत्य से दूरी बनानी पडती है ,मार्को भी अपनी पत्नी से ज्यादा अपने काम को तवज्जो देता है ! जिससे रोजी अवसाद में है ,और उनके रिश्ते तनावपूर्ण है !
जयपुर में कुछ गुफाओ की खोज में मार्को ,रोजी के साथ आता है जहा उनका गाईड है ‘’राजू ‘ ! मार्को के पास समय नहीं है ,जिसकी वजह से अवसाद में रोजी आत्महत्या का प्रयत्न करती है ,किन्तु राजू उसे बचा लेता है ! राजू उसका अवसाद दूर करने के प्रयत्न में उसके पास आ जाता है , और मानसिक रूप से हुयी रोजी राजू से प्यार कर बैठती है और मार्को को सदा के लिए छोड़ राजू के घर आ जाती है !
रोजी के इस तरह से राजू के घर पर रहने से ,राजू की माँ और मामा परेशांन है ,नाते रिश्तेदार और लोग, तरह तरह की बाते बनाते है ! किन्तु इन सबकी परवाह किये बगैर राजू रोजी को नृत्य के लिए प्रेरणा देता है ,माँ राजू को छोड़ कर अपने भाई के घर चली जाती है ,
राजू का रोजी के प्रति प्रेम फिर भी कम नही होता ,समय बीतता जाता है और राजू के प्रयास और रोजी की लगन रंग लाती है ! अब रोजी एक प्रसिद्ध नृत्यांगना है ,पैसे और प्रसिद्धि से राजू बदल जाता है ,शराब और जुवे की लत उसे लग चुकी है ,रोजी की व्यस्तता की वजह से दोनों के पास एकदूसरे के लिए समय नहीं है ! जिससे राजू चिडचिडा हो जाता है ,आये दिन होते झगड़ो की वजह से दोनों के रिश्ते खत्म होने की  कगार पर है , ऐसे में मार्को फिर आता है और उसे रोजी से दूर रखने के प्रयत्न में राजू पैसो के लेनदेन में एक घपला करता है और जेल पहुँच जाता है !
जेल जाने के बाद उसे अपने जीवन से विरक्ति हो जाती है ,और सजा खत्म करके वह एक गाँव पहुँचता है ! जहा कुछ गाँव वाले उसे उसकी बहकी बहकी बातो से कोई महात्मा समझ लेते है ,राजू फटेहाल उसी गाँव में ठहर जाता है , गांव वालों को एक कहानी सुनाते हुये राजू उनको एक साधु के बारे में बताया कि एक बार एक गांव में अकाल पड़ गया था और उस साधु ने १२ दिन तक उपवास रखा और उस गांव में बारिश हो गई।
संयोग से उस गांव के इलाके में भी अकाल पड़ जाता है। गांव का एक मूर्ख राजू से वार्तालाप के दौरान सुनता कुछ और है और गांव वालों को आकर बताता है कि स्वामी जी ने वर्षा के लिए १२ दिन का उपवास करने का निर्णय लिया है। पहले तो राजू इसका विरोध करता है, वह गाँव वालो को  बताता है कि वह एक सज़ायाफ़्ता मुजरिम है जिसे एक लड़की के कारण सज़ा मिली है। लेकिन इस पर भी गांव वालों की उस पर आस्था कम नहीं होती!
उनके विश्वास और अकाल से हुयी दयनीय अवस्था को देखकर राजू उपवास रखता है ! और इस दौरान राजू का आध्यात्मिक साक्षात्कार होता है ,और वह अपने जीवन की सभी बुराईयों और अंतर्मन की सभी कामनाओं पर विजय पा लेता है ! उसका प्रयत्न और लोगो का विश्वास रंग लाता है ,और राजू ,राजू गाईड से एक संत बनकर अपना जीवन त्याग देता है ,और मृत्यु के साथ ही वर्षा होती है जिससे लोगो का ईश्वर में विश्वास दृढ हो जाता है !
यह है फिल्म की कहानी ,जो दो हिस्सों में चलती है ! एक राजू और रोजी के जीवन की जटिलताओ को दर्शाती है ,राजू की कामनाये और रोजी की महत्वकांक्षाओ को दिखाती है ,और दिखाती है सब कुछ पा लेने के पश्चात भी किस तरह से मनुष्य संतोष को नहीं पा सकता ! राजू और रोजी ने सब कुछ पाया लेकिन उनके जीवन में संतोष नहीं पाया कभी ,जब तक राजू सिर्फ एक गाईड था तब तक वह खुश था ,इच्छाए छोटी थी !  किन्तु जब वह सिर्फ राजू बना और सफलता का स्वाद चखा तो वह वास्तविक सुखो को भुलाकर भौतिक सुखो में रम गया ,जिसने उसके जीवन को सिर्फ जटिल बनाया ! रोजी भी पहले मार्को से खुश नहीं थी क्योकि वह उसे प्यार नहीं करता था और उसके नृत्य पर भी बंदिश लगाये रखता था ,जिसके चलते उसका संबंध टूटा ,राजू ने उसे प्यार भी दिया और पूर्ण स्वतन्त्रता भी ,रोजी ने नलिनी बनकर वह सब हासिल किया जिसका उसने स्वप्न देखा था ! किन्तु सफलता की कीमत उसके रिश्ते को चुकानी पड़ी ! न वह मार्को के साथ संतुष्ट रह सकी और न राजू के साथ ,दरअसल दोनों ने अपनी संतुष्टि को मात्र अपनी इच्छाओ के इर्द गिर्द सिमित कर लिया इसलिए सब कुछ पाकर भी दोनों खाली हाथ थे ! राजू ने जब इच्छाओ का त्याग किया और सब कुछ खो दिया ,तब उसने सबकुछ खोकर भी संतुष्टि को प्राप्त किया !
कहानी राजू और रोजी की नहीं है ,कहानी है मनुष्य की इच्छाओ की ,उसकी महत्वकांक्षाओ की ,जिससे वह सदा ग्रसित रहता है ! वह यह नहीं समझता के इच्छाए पूर्ण होने पर भी मात्र बढती जाती है ,
ऐसी फिल्मो को देखकर अफ़सोस होता है के आज की फिल्मे किस हद तक गर्त में जा चुकी है ! फिल्म का पहला गीत जब राजू जेल से रिहा होकर संसार से विरक्ति की और बढ़ता है ,बेहद अर्थपूर्ण है ‘’वहा कौन है तेरा ,मुसाफिर जाएगा कहा ‘ सचिन देव बर्मन की अर्थपूर्ण आवाज ने इस गीत को फिल्म की आत्मा का रूप दे दिया है !
सचिन जी की आवाज की पूर्णता उनके फिल्म के अंतिम गीत ‘अल्लाह मेघ दे पानी रे ‘’ में साफ झलकती है !फिल्म में कुल दस गीत है ,और हर गीत कर्णप्रिय एवं अर्थ लिए हुए है ! ‘पीया तोसे नैना लागे ‘’,तेरे मेरे सपने ,क्या से क्या हो गया रे ,गाता रहे मेरा दिल ,दिन ढल जाए ,आज फिर जीने की तमन्ना है , आदि गीत जो उस दौर की पहचान बने और आज भी लोग गुनगुनाते है ! लता मंगेशकर ,सचिन देव बर्मन ,मन्ना डे ,मोहम्मद रफ़ी ,किशोर कुमार ,जैसे लिजेंड गायकों की सुरीली आवाज ने गीतों में प्राण फूंके है ,जो आज भी ताजगी लिए हुए है !

1 टिप्पणी:

  1. The most Iconic Scene where Soul and Mind discuss to each other- i Liked Dev Sahab Dilague - "Aisa lagta hai aaj sari Ihhaye Puri hongi lekin dekho aaj koi ihha hi nai hai".

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