शनिवार, 4 अक्तूबर 2014

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फिल्म एक नजर में : बैंग बैंग

निर्माता : फॉक्स स्टार स्टूडियोज
निर्देशक : सिद्धार्थ आनंद
कलाकार : ऋतिक रोशन, कैटरिना कैफ, 
डैनी डेन्जोंगपा, जावेद जाफरी,  
जिमी शेरगिल (मेहमान कलाकार )
“बैंग बैंग” ऋतिक और सिद्धार्थ की एक महत्वकांक्षी फिल्म है, जिसमें  पैसा पानी की तरह बहाया गया है ताकि फिल्म एक्शन में हालीवुड की बराबरी कर सके, ऐसा दबाव भी था क्योकि यह फिल्म “टॉम क्रूज’ अभिनीत होलीवुड फिल्म “नाईट एंड डे” का हिंदी रीमेक थी । स्वाभाविक था के रीमेक को हमेशा से ओरिजनल से बेहतर ही बनाने का दबाव होता है।
किन्तु “नाईट एंड डे” भी कोई महान फिल्म नहीं थी, 
भागा दौड़ी और बिना लाजीक के एक्शन और बिना कहानी की फिल्म थी । 
बस पैकेजिंग अच्छी थी,तो उसकी हिंदी रीमेक से भी ज्यादा उम्मीद रखना बेवकूफी ही होगी।
कहानी शुरू होती है लंडन में पकडे गए इंटरनैशनल अपराधी “जफ़र”(डैनी) के प्रत्यर्पण की तैय्यारियो से ,
मेजर वीरेंद्र नंदा ( जिमी शेरगिल) जफ़र को भारत लाने की कोशिश कर रहे है
 लेकिन इस प्रयास में वो जफ़र के गुट द्वारा शहीद हो जाते है । 
तब जफ़र भारत और लंडन के संबंधो को बिगाड़ने के लिए “कोहीनूर”हीरे की चोरी करनेवाले को ईनाम की घोषणा करता है।
और उस घोषणा के बाद ही कोहिनूर चोरी हो जाता है और उसे चोरी करनेवाला है
 “राजवीर” ( ऋतिक) हीरे को बेचने के चक्कर में उसकी मुलाक़ात नीरस जिन्दगी जीनेवाली
 “हरलीन”(कैटरिना )से होती है । और इसी के साथ हरलीन की जिन्दगी में तूफ़ान सा आता है
 और उसके पीछे पुलिस ,सीक्रेट एजेंट्स,और क्रिमिनल्स पड़ जाते है। 
अब राजवीर के कारण यह सब हुवा है तो राजवीर ही उसे बचाता है,
हरलीन को पता चलता है के राजवीर एक इंटरनैशनल क्रिमिनल है जिसने कोहिनूर चुराया है,
इसके बावजूद वह राजवीर को दिल दे बैठती है और राजवीर भी उसे चाहने लगता है ।
 राजवीर को जफ़र की तलाश है ,और उसका मकसद कुछ और ही है । 
क्या है ? यह तो फिल्म देखने के पश्चात ही पता चलेगा । कहानी से भले ही फिल्म चुस्त लग रही हो किन्तु फिल्म इसके उलट है,बोलीवूड मसालों के चक्कर में फिल्म बेवजह लम्बी खिंची हुयी है ।
फिल्म की कहानी के हिसाब से यदि पर्याप्त गति होती तो फिल्म और अच्छी बन सकती थी ।
बेवजह के ठुंसे हुए गाने फिल्म को लम्बा खींचते है और उबाऊ बनाते है । फिल्म में यदि कुछ देखनेलायक है तो वह है इसका एक्शन और ऋतिक की टाईमिंग कॉमेडी । 
जो गंभीर से गंभीर परिस्थतियो में भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आता । 
वैसे फिल्म में ओरिजनल फिल्म जैसे ही बेतुके सिक्वेंस है जिसका स्पष्टिकरन देना 
निर्देशक ने उचित नहीं समझा ,जैसे पहाड़ी पर स्थित होटल में पकडे जाने पर राजवीर हरलीन
 को लेकर खाई में कूद पड़ता है जिसके बाद भी उन्हें सही सलामत दिखाया गया है ।
 यह कैसे हुवा ?इसके पीछे कोई कारण नहीं दर्शक बस अपना तर्क लगाये ,
बाकी भी कई दृश्य हजम नहीं होते लेकिन एक्शन फिल्म होने के नाते सब चल जाता है ।
 रही सही कसर कटरीना पूरी कर देती है अपनी उकताऊ और खीज पैदा करती अदाकारी से ,
उनके लिए मात्र स्लो मोशन में पलके उठाना होंठ हिलाना और फुसफुसाकर बोलना ही एक्टिंग है
 जो के काफी बोझिल लगता है । ऋतिक ऐसी भूमिकाओ में खासे जंचते है,
एक्शन दृश्यों में उनकी फुर्ती गजब की है । उनकी मेहनत साफ़ दिखती है,
उन्हें एक्शन करते समय देखने पर आप यह है भूल ही जाते है के आप कोई बोलीवूड फिल्म देख रहे है, 
लेकिन कटरीना के आते ही आपको अपनी गलती का अहसास हो जाता है ।
गीत संगीत नाम के अनुरूप ही है बस गाने आते है और चले जाते है । 
याद नहीं रहते ,शीर्षक गीत सबसे अंत में दिया गया है जिसमे कटरीना स्लो मोशन में ही 
अभिनय कर रही है और ऋतिक फ़ास्ट फारवर्ड में डांस कर रहे है ।
गीत सिर्फ कामचलताऊ है,फिल्म की लम्बाई ही बढ़ाते है ।
एक्शन दृश्य मात्र असरदार है । चेज के दृश्य शानदार है , 
फिल्म कुल मिलाकर एक मसाला फिल्म है ,
जिसे सिर्फ और सिर्फ ऋतिक और एक्शन के लिए देखा जा सकता है ।

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