वैसे तो मुझे एनिमेशन फिल्मे देखना कुछ ख़ास पसंद नहीं है ,
इसके बावजूद मैंने अब तक ढेर सारी एनिमेशन फिल्मे देखि है !
जिनमे से सिर्फ गिनी चुनी फिल्मे ही उल्लेखनीय है !
यह फिल्म भी उन्ही यादगार और प्यारी फिल्मो में से एक है , मैंने किसी के आग्रह पर यह फिल्म देखि थी ,
वैसे मै बहुत कम फिल्मे अंग्रेजी में देखता हु , मै अधिकतर अंग्रेजी फिल्मो की हिंदी डब देखता हु ,
लेकिन ईस फिल्म को मैंने इंग्लिश में ही देखि क्योकि यह मेरे पास इंग्लिश में ही उपलब्ध थी .
और जब मैंने फिल्म देखनी शुरू की तब मै एक जगह चिपका रह गया ,
और फिल्म पूरी खत्म करने के बाद ही उठा ,
नहीं नहीं यह कोई बहुत ही धमाकेदार ,जबर्दस्त या हाई क्वालिटी एनिमेशन फिल्म नहीं है !
यह एक बहुत ही प्यारी फिल्म है ,सीधी सपाट कहानी जो दिल को छू लेती है .
आईये ज्यादा बाते ना करते हुये सीधे फिल्म की कहानी पर आते है .
‘शौन’ एक बीमार लडका है , उसके दिल में छेद है ,उसका ऑपरेशन होना है !
जिसमे वह बचेगा या नहीं इसकी कोई उम्मीद नहीं है ,उसे ऑपरेशन का डर है .
उसकी माँ उसे अपने दादाजी के पुराने घर लेके आती है ! घर प्रकृति की गोद में बसा हुवा है ,
एक बेहद खूबसूरत और शांत, शहर से बाहरी हिस्से में .
शौन ने घर में की दहलीज में कदम रखते ही कुछ ऐसा देख लिया जिस से उसे घर से जुडी अफवाह पर यकीं हो गया .
उसके स्वर्गीय दादाजी ने घर में दस इंच के नन्हे इंसानों के होने का दावा किया था ,
जो सबसे छुप कर रहते है उसी घर में ! लेकिन वे सारी जिन्दगी ईस बात को साबित नहीं कर पाए थे ,
तो ईस बात को नजरअंदाज कर दिया गया था .
लेकिन शौन ने कदम रखते ही गार्डन में एक नन्ही सी लडकी को देख लिया था ,
जो बामुश्किल से आठ इंच की थी ,लेकिन वह तुरंत वहा से भाग कर कही गायब हो गई .
उस लडकी का नाम “एरियरीटी” था .
एरियरीटी घबराई हुयी घर के तहखाने में स्थित अपने नन्हे से घर में पहुँचती है ,जहा उसके माँ बाप भी है ,
वह अपने माँ बाप से देखे जाने की बात कहती है !
तो उसके पिता उसे समझाते है के इंसानों द्वारा हम नन्हे इंसानों का देखा जाना हमारे लिये अच्छा नहीं है .
इसलिए आगे से सावधानी बरतना .
वे नन्हे इंसान खुद को ‘बोर्रोवर्स ‘ कहते है ,
उनका परिवार कई सालो से वहा बसा हुवा है और वे अपनी जरुरत का हर सामान शौन के घर में से ही लाते है ,
एक बार शौन की नजर एरियरीटी पर पड़ती है और वह उस से दोस्ती करना चाहता है ,लेकिन एरियरीटी को इसमें डर है !
इसलिए वह उस से बचती है ,
शौन उस से दोस्ती करने के प्रयत्न करता है !
धीरे धीरे एरियरीटी को अहसास होता है के शौन उसके लिये खतरा नहीं है .
लेकिन शौन की ईस हरकत की वजह से उसके नन्हे परिवार पर आफत आ जाती है ,
शौन की नौकरानी को शुरू से ही घर में नन्हे इंसानों के होने का शक था !
और शौन की हरकतों ने उसके ईस शक को यकीं बदल दिया .
उसने नन्हे इंसानों को पकड़ने के लिये जाल बिछाया जिसमे एरियरीटी की माँ फंस जाती है .
अब एरियरीटी शौन से मदद मांगती है ,और शौन उसकी माँ को आजाद करवाता है
और उनके रहस्य को दुनिया के सामने लाने से बचाता है .
लेकिन अब एरियरीटी और उसके परिवार को यह जगह छोड़ कर जाना है ,
क्योकि उनका नियम है के अगर इंसानों को आपके बारे में पता चल जाए तो आपको जगह बदल लेनी चाहिये तो ही आप सुरक्षित हो .
एरियरीटी शौन से मिलकर उसे अपने जाने के बारे में बताती है ,
और शौन भी उसे दुखी मन से विदा करता है .
उन दोनों में एक अनजाना सा रिश्ता बन जाता है जिसे फिल्म ने एनिमेशन होने के बावजूद भावनात्मक तरीके से पेश किया है .
फिल्म देखते वक्त हम भी किसी छोटे बच्चे जैसे हो जाते है ,और एरियरीटी की अनोखी दुनिया में खो जाते है ,
कहानी कब खत्म हो जाती है ,वक्त कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता .
अगर आप एनिमेशन फिल्मो के शौक़ीन हो तो आपको यह एनिमेशन फिल्म जरुर देखनी चाहिये ,
और अगर ना भी हो तो भी एक बार जरुर देखनी चाहिये .
फिल्म की सीधी सपाट कहानी ,और दिल को छू लेनेवाले पल आपको बाँध लेते है .
फिल्म को फाईव स्टार ना देने के लिये मेरे पास कोई वजह नहीं है ,इसलिए
फाईव स्टार
देवेन पाण्डेय
इसके बावजूद मैंने अब तक ढेर सारी एनिमेशन फिल्मे देखि है !
जिनमे से सिर्फ गिनी चुनी फिल्मे ही उल्लेखनीय है !
यह फिल्म भी उन्ही यादगार और प्यारी फिल्मो में से एक है , मैंने किसी के आग्रह पर यह फिल्म देखि थी ,
वैसे मै बहुत कम फिल्मे अंग्रेजी में देखता हु , मै अधिकतर अंग्रेजी फिल्मो की हिंदी डब देखता हु ,
लेकिन ईस फिल्म को मैंने इंग्लिश में ही देखि क्योकि यह मेरे पास इंग्लिश में ही उपलब्ध थी .
और जब मैंने फिल्म देखनी शुरू की तब मै एक जगह चिपका रह गया ,
और फिल्म पूरी खत्म करने के बाद ही उठा ,
नहीं नहीं यह कोई बहुत ही धमाकेदार ,जबर्दस्त या हाई क्वालिटी एनिमेशन फिल्म नहीं है !
यह एक बहुत ही प्यारी फिल्म है ,सीधी सपाट कहानी जो दिल को छू लेती है .
आईये ज्यादा बाते ना करते हुये सीधे फिल्म की कहानी पर आते है .
‘शौन’ एक बीमार लडका है , उसके दिल में छेद है ,उसका ऑपरेशन होना है !
जिसमे वह बचेगा या नहीं इसकी कोई उम्मीद नहीं है ,उसे ऑपरेशन का डर है .
उसकी माँ उसे अपने दादाजी के पुराने घर लेके आती है ! घर प्रकृति की गोद में बसा हुवा है ,
एक बेहद खूबसूरत और शांत, शहर से बाहरी हिस्से में .
शौन ने घर में की दहलीज में कदम रखते ही कुछ ऐसा देख लिया जिस से उसे घर से जुडी अफवाह पर यकीं हो गया .
उसके स्वर्गीय दादाजी ने घर में दस इंच के नन्हे इंसानों के होने का दावा किया था ,
जो सबसे छुप कर रहते है उसी घर में ! लेकिन वे सारी जिन्दगी ईस बात को साबित नहीं कर पाए थे ,
तो ईस बात को नजरअंदाज कर दिया गया था .
लेकिन शौन ने कदम रखते ही गार्डन में एक नन्ही सी लडकी को देख लिया था ,
जो बामुश्किल से आठ इंच की थी ,लेकिन वह तुरंत वहा से भाग कर कही गायब हो गई .
उस लडकी का नाम “एरियरीटी” था .
एरियरीटी घबराई हुयी घर के तहखाने में स्थित अपने नन्हे से घर में पहुँचती है ,जहा उसके माँ बाप भी है ,
वह अपने माँ बाप से देखे जाने की बात कहती है !
तो उसके पिता उसे समझाते है के इंसानों द्वारा हम नन्हे इंसानों का देखा जाना हमारे लिये अच्छा नहीं है .
इसलिए आगे से सावधानी बरतना .
वे नन्हे इंसान खुद को ‘बोर्रोवर्स ‘ कहते है ,
उनका परिवार कई सालो से वहा बसा हुवा है और वे अपनी जरुरत का हर सामान शौन के घर में से ही लाते है ,
एक बार शौन की नजर एरियरीटी पर पड़ती है और वह उस से दोस्ती करना चाहता है ,लेकिन एरियरीटी को इसमें डर है !
इसलिए वह उस से बचती है ,
शौन उस से दोस्ती करने के प्रयत्न करता है !
धीरे धीरे एरियरीटी को अहसास होता है के शौन उसके लिये खतरा नहीं है .
लेकिन शौन की ईस हरकत की वजह से उसके नन्हे परिवार पर आफत आ जाती है ,
शौन की नौकरानी को शुरू से ही घर में नन्हे इंसानों के होने का शक था !
और शौन की हरकतों ने उसके ईस शक को यकीं बदल दिया .
उसने नन्हे इंसानों को पकड़ने के लिये जाल बिछाया जिसमे एरियरीटी की माँ फंस जाती है .
अब एरियरीटी शौन से मदद मांगती है ,और शौन उसकी माँ को आजाद करवाता है
और उनके रहस्य को दुनिया के सामने लाने से बचाता है .
लेकिन अब एरियरीटी और उसके परिवार को यह जगह छोड़ कर जाना है ,
क्योकि उनका नियम है के अगर इंसानों को आपके बारे में पता चल जाए तो आपको जगह बदल लेनी चाहिये तो ही आप सुरक्षित हो .
एरियरीटी शौन से मिलकर उसे अपने जाने के बारे में बताती है ,
और शौन भी उसे दुखी मन से विदा करता है .
उन दोनों में एक अनजाना सा रिश्ता बन जाता है जिसे फिल्म ने एनिमेशन होने के बावजूद भावनात्मक तरीके से पेश किया है .
फिल्म देखते वक्त हम भी किसी छोटे बच्चे जैसे हो जाते है ,और एरियरीटी की अनोखी दुनिया में खो जाते है ,
कहानी कब खत्म हो जाती है ,वक्त कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता .
अगर आप एनिमेशन फिल्मो के शौक़ीन हो तो आपको यह एनिमेशन फिल्म जरुर देखनी चाहिये ,
और अगर ना भी हो तो भी एक बार जरुर देखनी चाहिये .
फिल्म की सीधी सपाट कहानी ,और दिल को छू लेनेवाले पल आपको बाँध लेते है .
फिल्म को फाईव स्टार ना देने के लिये मेरे पास कोई वजह नहीं है ,इसलिए
फाईव स्टार
देवेन पाण्डेय
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