पिछले कुछ समय से अक्षय
काफी बढ़िया फिल्मो में नजर आ रहे है जो लीक से हटकर और उम्दा होती है ,कुछ अपवादों
को यदि छोड़ दिया जाए तो .
यदि बॉलीवुड के पिछले कुछ
सालो को खंगाला जाये तो बेशक अक्षय ऐसे सुपरस्टार के तौर पपर उभरते है जो बिना
किसी शोरशराबे के अपनी जगह बना रहे है जिससे अच्छे अच्छे सुपरस्टार्स को
काम्प्लेक्स हो जाए .
उसी कड़ी को जारी रखती है ‘’एयरलिफ्ट
‘’ जिसे यदि अक्षय की सबसे बेहतरीन फिल्म कहा जाए तो आतिशयोक्ति नहीं होगी ,बल्कि
यह इस साल की बेहतरीन फिल्म भी हो सकती है अब अवार्ड्स भले न मिले दर्शको का प्यार
अवश्य मिला है .( वैसे भी अवार्ड्स किस तरह से मिलते है सभी को पता है )
फिल्म की कहानी है नब्बे के
दशक की जब ‘कुवैत ‘ और ईराक ‘ के मतभेद खुल के सामने आये और इराकी तानाशाह ‘सद्दाम
हुसैन ‘ ने रातो रात कुवैत को जंग का मैदान बना दिया .
एक जंग कितनी भयावह हो सकती
है और कैसे अर्थव्यवस्था को चौपट कर सकती है इसका भयावह उदाहरण था वह दौर ,जब एक
ही रात में अरबपति से कई लोग कंगाल हो गए .
जिनकी पहचान रातो रात बदल
गयी .
ऐसे ही लोगो में से एक था
कुवैत का बिजनेस टायकून ‘रंजित कात्याल ‘ ( अक्षय ) जो अपने आपको भारतीय कहलाना
पसंद नहीं करता और पैसा ही जिसका ध्येय है ,वह स्वयं को कुवैती मानता है और भारत
उसकी यादो में भी नहीं है .
किन्तु सद्दाम हमले में वह
सडक पर आ जाता है ,और उस वॉर जॉन में परिवार सहित फंस जाता है l
वह निकलने का प्रयत्न करता
है किन्तु उसी की तरह एक लाख सत्तर
हजार भारतीय भी उस जंग में फंस गए है ,
अब
रंजित हालातो को देखकर बदल जाता है और उसके अंदर का भारतीय जाग जाता है l
वह अब इसी प्रयत्न में जुट
जाता है के किसी तरह से सारे भारतीयों
को सुरक्षित अपने देश पहुंचाया जाय,एक अशांत
देश में,
यह कार्य इतना आसान भी नहीं था .
किन्तु रंजित हार नहीं
मानता और अपने दोस्तों एवं पत्नी की सहायता
से वह कर दिखाता है जिससे वह एक नायक
के रूप में उभरता है .
फिल्म की कहानी एक लाइन की
है , एक वॉर जॉन में से भारतीयों के निकलने की !
किन्तु इस कहानी को विस्तार देना
और उसके साथन्याय करना दोनों अलग बात थी .
और फिल्म में समतोल बना
हुवा है कहानी कही भी धीमी नहीं पड़ती और बिना
किसी मसाले के या ड्रामे के दर्शको
को बांधे रखती है अंत तक ,
अभिनय सभी का उम्दा रहा
,अक्षय के साथ साथ निम्रत ने भी सहज और संयत अभिनय किया है ,जो अपने पति का साथ
देती है और उत्साह भी बढ़ाती है ,
इराकी सैन्य अधिकारी के रूप में ‘इना मूल हक ‘
दिलचस्प रहे है !
उनकी नपी तुली एवं शांत लहजे में रुसी टाईप हिंदी में धमकी देने
और
डराने की अदा कमाल की थी , अभिनय में हर किसी ने अपना बेस्ट दिया है ,
फिल्म दर्शको अभिभूत कर
देती है ,कई बार दर्शको ने तालियों से फिल्म को प्रतिसाद दिया है तो वही भारत का
झंडा लहराने भर से दर्शक भाव विभोर हो
जाते है और थियेटर तालियों के शोरगुल से भर जाता है .
बस यही काफी है , यही है
असली अवार्ड हर फिल्मकार के लिए ,हर कलाकार के लिए .
फिल्म हर लिहाज से बढ़िया
बनी है , गाने न के बराबर है ,वैसे भी जबरदस्ती के रोमांस और संगीत फिल्म को बेवजह
लम्बा ही करते ,जिससे पूरी तरह बचा गया है .फिल्म के प्रदर्शित होने के पहले तक
कितने लोगो को पता था के ऐसा भी कुछ हो चूका है ? ऐसी फिल्मे बनना सुखद है जिससे लोग
अपने आप पर, देश पर गर्व कर सके न की अन्य स्टार्स की तरह झूठा राग अलापकर देश को
शर्मिंदा करे .
किसी भी देश का यह अब तक का
सबसे बड़ा रिफ्यूजी ऑपरेशन था , एयरइंडिया ने रीकार्डतोड़ ‘’चार सौ अट्ठासी ‘’
फ्लायिट्स चलाई थी , भारतीयों को देश वापस लाने के लिए l लेकिन इसके पीछे जिन
अधिकारियों का हाथ रहा उन लोगो का कभी जिक्र भी नहीं हुवा , यह फिल्म उन लोगो के
लिए सम्मान भी है .
फिल्म की एक और खासियत यह
रही के जहा फिल्म ने प्रदर्शन के दिन बारह करोड़ से ओपनिंग की तो दुसरे दीन चौदह तक
पहुंची और रविवार को आंकड़ा सतरह का रहा जो साबित करता है के फिल्म को जबरदस्त
तारीफे एवं माउथ पब्लिसिटी का फायदा मिल रहा है ,
जो यह साबित करता है के फिल्म देखने
लायक है l
हम भी सुबह से टिकट के चक्कर
में थे किन्तु शहर के आसपास
सभी मल्टीप्लेक्स हाउसफुल थे l टिकट मिला भी तो शाम का
और
वहा भी कोई सीट खाली नहीं , तो वही दूसरी ओर अडल्ट कॉमेडी ‘क्या कूल है हम 3 ‘’
की सीट्स सत्तर प्रतिशत उपलब्ध थी .
ऐसा होना सुखद है के लोग
अच्छी फिल्मो को तरजीह दे रहे है !
फिल्म को और उछाल मिलना तय है ,छब्बीस जनवरी की
छुट्टी
और देशभक्ति का भरपूर लाभ मिलेगा .
रिव्यू वगैरह के चक्कर में
पड़े बगैर देखने लायक फिल्म है ,
फाईव स्टार्स
देवेन पाण्डेय
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " ६७ वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति जी का संदेश " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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