मुझे
अपना वह बचपन याद है जब मै निकर पहने प्रेस किये शर्ट पहन कर चार आने में
एक कागज
का तिरंगा खरीद कर ,एक कागज का बैज शर्ट पर लगाए हुए
पंद्रह अगस्त की
सुबह साढ़े पांच बजे ही अपने मित्रो के साथ स्कुल की और निकल पड़ता
!'प्रभात फेरी ' के लिए .
और स्कुल परेड में नारे लगाने के बजाय सडको पर ही
नारे लगाता 'भारत माता की जय '
'वन्दे मातरम ' !! अन्य
मित्र भी ,और हम बच्चो की देखा- देखि सुबह सुबह गुजरनेवाले
राहगीर ,
दूकान खोलते दुकानदार ,दूधवाले
आदि भी हमारे नारों में मिलकर साथ देते थे !
हम
चिल्लाते झंडा लहराते हुए ''भारत माता की ......'
और
सभी राहगीर सुर में सुर मिलाते 'जय '
कमाल
का माहौल होता था वह ! स्कुल में अक्सर इन दिनों कुछ कार्यक्रम होते थे !
जिनमे हम
भी महीने भर पहले से भाषण का रट्टा मार कर आते थे ,
जब
प्राध्यापक और अतिथिगण भाषण देते तो बहुत उकताहट होती थी !
लेकिन जब हम बच्चो की
बारी आती थी तो गजब का जोश दीखता था ,
हर किसी के पास अपनी पंक्तिया होती थी
कहने के लिए ,जिनकी शुरुवात होती थी इन शब्दों से
‘'यहाँ उपस्थित मेरे
आदरणीय गुरुजन एवं मित्रगण ! मै आजादी के इस पावन अवसर पर दो शब्द कहना चाहूँगा ,’’
यह होती थी शुरुवाती
पंक्तिया और खत्म होती थी इन पंक्तियों से
‘ इतना कहकर मै अपने दो शब्द समाप्त
करता हु ,जय हिन्द जय भारत ‘
और भाषण के बाद जो जबरदस्त तालिया गूंजती थी के पूछो ही मत .
और भाषण के बाद जो जबरदस्त तालिया गूंजती थी के पूछो ही मत .
फिर बारी आती
रंगारंग कार्यक्रम की ! जिसके लिए हम एक महीने पहले से ही तैय्यारी करते आ रहे थे
,
बुक स्टोर से देशभक्ति के गीतों वाली पुस्तक खरीद कर रखते थे और उनमे से
लगभग सभी
गीतों को याद कर लेते थे ! जिनमे प्रमुख गीत होते थे ,
’मेरे देश की धरती सोना
उगले उगले हीरे मोति !
नन्हा मुन्ना राही
हु देश का सिपाही हु बोलो मेरे संग जय हिन्द जय हिद!
,हम लाये है तूफ़ान
से कश्ती निकाल के ,इस देश को रखना मेरे बच्चो सम्भाल के !
अपनी आजादी को हम
हरगिज मिटा सकते नहीं !
कर चले हम फ़िदा जानो
तन साथियो ,अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो !
‘है प्रीत जहा की
रीत सदा मै गीत वहा के गाता हु ,भारत का रहनेवाला हु भारत के गीत सुनाता हु ‘
इतने ही न जाने
कितने ही गीत उन दिनों जुबानी याद हो चुके थे !
इन गीतों के कैसेट्स भराए जाते थे
,जिन्हें एक टेप में लगाकर रिहर्सल की जाती थी स्कुल में !
जिनमे मेरा सबसे
पसंदीदा गीत था ‘है प्रीत जहा की रीत सदा ‘ और ‘ जहा डाल डाल पर सोने की चिड़िया
करती है बसेरा ,वह भारत देश है मेरा ‘
इस गीत की पंक्तिया
उस समय भी काफी गहरा प्रभाव छोडती थी ,जब हमें पंक्तियों के भावार्थ समझ में नहीं
आते थे ! किन्तु इस गीत में वह बात थी जो बचपन में भी समझ में अति थी ,के हमारा
भारत ऐसा था !
किन्तु अफ़सोस तब भी होता था और अब भी है के इन गीतों वाला भारत नहीं
रहा !
फिर भी उम्मीद कायम
है ! क्योकि देशभक्ति का जज्बा आज भी वही है जो बचपन में होता था ,
और यह बात आज भी
जब बाहर देखो तो समझ में आती है !
आज भी नन्हे मुन्हे बच्चो की परेड होते देख मेरा
बालमन उसमे खुद को ढूंढता है, के कही वह सफ़ेद निकर वाला बच्चा नजर आये जो झंडा लिए
गला फाड़े चिल्ला रहा हो ..
‘’भारत माता की ....’
और भीड़ साथ दे रही
हो ‘’ जय !!!!!!!’’
और हां ऐसे बच्चे
नजर आते है ,बहुतायत में नजर आते है ! अमुमन हर बच्चा वही लगता है .
तो इतना कहकर मै
अपने ‘दो शब्द समाप्त करना चाहूँगा ! धन्यवाद ,जय हिन्द जय भारत ‘ जाते जाते
‘सिकंदर-ए-आज़म (1965)’ फिल्म का ‘मोहम्मद रफी ‘ द्वारा
गाये गीत की पंक्तिया प्रस्तुत करना चाहूँगा .
संगीत है ‘हंसराज
बहल ‘ का और शब्द है ‘राजिंदर कृष्ण ‘ के
जहाँ डाल-डाल पर
सोने की चिड़ियां करती है बसेरा
वो भारत देश है मेरा
जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश है मेरा
ये धरती वो जहाँ ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम की माला
जहाँ हर बालक इक मोहन है और राधा इक-इक बाला
जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा
वो भारत देश है मेरा...
जहाँ गंगा, जमुना, कृष्ण और कावेरी बहती जाए
जहाँ उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम को अमृत पिलवाये
ये अमृत पिलवाये
कहीं ये फल और फूल उगाये, केसर कहीं बिखेरा
वो भारत देश है मेरा...
वो भारत देश है मेरा
जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश है मेरा
ये धरती वो जहाँ ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम की माला
जहाँ हर बालक इक मोहन है और राधा इक-इक बाला
जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा
वो भारत देश है मेरा...
जहाँ गंगा, जमुना, कृष्ण और कावेरी बहती जाए
जहाँ उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम को अमृत पिलवाये
ये अमृत पिलवाये
कहीं ये फल और फूल उगाये, केसर कहीं बिखेरा
वो भारत देश है मेरा...
अलबेलों की इस धरती
के त्योहार भी हैं अलबेले
कहीं दीवाली की जगमग है, होली के कहीं मेले
कहीं दीवाली की जगमग है, होली के कहीं मेले
जहाँ राग-रंग और हँसी-खुशी का चारों
ओर है घेरा
वो भारत देश है
मेरा...
जहाँ आसमान से बातें करते मंदिर और शिवाले
किसी नगर मे किसी द्वार पर कोई न ताला डाले
और प्रेम की बंसी जहाँ बजाता आये शाम सवेरा
वो भारत देश है मेरा...
जहाँ आसमान से बातें करते मंदिर और शिवाले
किसी नगर मे किसी द्वार पर कोई न ताला डाले
और प्रेम की बंसी जहाँ बजाता आये शाम सवेरा
वो भारत देश है मेरा...
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