बुधवार, 31 अगस्त 2016

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पुस्तक समीक्षा : रक्षक ( ग्राफिक नॉवेल )


भाषा : इंग्लिश
पब्लिकेशन : याली ड्रीम्स क्रिएशन .
याली ड्रीम्स क्रिएशन्स के परिचय पर इससे पहले के रिव्युज में काफी कुछ लिख चूका हु ,तो इस बार बिना किसी औपचारिकता के मुख्य मुद्दे पर आते है l
याली ने भूतकाल में कई अलग-अलग जेनर पर काम किया है किन्तु इसके बावजूद एक ग्राफिक नावेल या कॉमिक्स पब्लिकेशन को विविधता भरे जेनर एवं कंटेंट के बावजूद बिना सुपरहीरो के अधुरा माना जाता है ,और याली के पास अब तक अपना कोई सुपरहीरो नहीं था l
तो इस कॉमिक्स से सुपरहीरो को लाया जा रहा है ,जो कोई सुपरहीरो नहीं बल्कि एक आम इंसान है , न वो कोई अरबपति है ,न कोई इंजीनियर न कोई एलियन ,और ना ही किसी साईंस का चमत्कार l
यह कहानी प्रस्तुत करती है एक आदमी के जज्बे को सुपरहीरोइक रूप देने की ,एक प्रेरणा की एक जज्बे की , जिसके होने के बाद किसी सुपर पॉवर की जरूरत नहीं रह जाती l
कहानी की शुरुवात होती है कश्मीर में एक ख़ुफ़िया मिशन से जिसका नेतृत्व कर रहे है कमांडर ‘’आदित्य शेरगिल ‘’ और उनकी एक मजबूत टीम l
इस ख़ुफ़िया मिशन में एक आसान सी लगती बाजी उलट जाती है जिसका परिणाम आदित्य की पूरी टीम को भुगतना पड़ता है , आदित्य इस खतरनाक मिशन में अपना एक हाथ गँवा देता है और एक दुस्वप्न भी अपने जीवन में शामिल कर लेता है l
हाथ गँवा देने के बाद रिटायरमेंट लेकर आदित्य अपने पुराने घर दिल्ली पहुँच चूका है ,आदित्य के जीवन में एक मात्र रिश्तेदार उसकी एन आर आई बहन त्रिशा उसका पति रोनाल्ड और उनकी बेटी यानी आदित्य की नकचढ़ी भांजी ‘सायना ‘’ जिसे इण्डिया आना पसंद ही नहीं l
त्रिशा और उसका परिवार विदेश में है लेकिन भाई के साथ हुए हादसे की वजह से वे कुछ दिन के लिए भारत आने का फैसला कर सके l
आदित्य ने अपनी जवानी घर परिवार से दूर सेना में ही बिताई है और अब वह अधेड़ हो चूका है l
त्रिशा और रोनाल्ड चाहते है के अब आदित्य को अपने अकेलेपन को ठहराव देना चाहिए और घर बसा लेना चाहिए l
आदित्य अपने परिवार से मिलकर खुश होता है लेकिन नकचढ़ी भांजी उसे बिलकुल भी पसंद नहीं करती है l लेकिन आदित्य अपने मित्रवत व्यवहार एवं समझदारी से सायना से एक बॉन्डिंग बना लेता है l
दिल्ली आते समय आदित्य की मुलाक़ात एक वेब जर्नलिस्ट ‘’रूही’’ से होती है ,जिसके प्रति वह आकर्षित होता है l
सत्रह साल आम दुनिया से दूर रहने के बाद अब काफी चीजे बदल चुकी है ,जिससे आदित्य अनजान है ,हैरान है l
वह इस बदली दुनिया और समाज से तालमेल बिठाने की भरसक कोशिश कर रहा है l
सब कुछ ठीक चल रहा होता है के अचानक एक दिन एक हादसा होता है जिससे आदित्य का परिवार तहस नहस हो जाता है ,और आदित्य अंदर से बुरी तरह टूट जाता है l
उसे सिस्टम की नाकामी और समाज में बढती असंवेदनशीलता से डिप्रेशन होने लगता है l
लेकिन वह खुद को सम्भालता है क्योकि अब सायना आदित्य की जिम्मेदारी बन चुकी है l
इंसानियत के विद्रूप स्वरूप से उसका परिचय होता है , अपने अंदर के क्रोध को वह दबाए हुए है और हर मुमकिन कोशिश वह कर चूका है इन्साफ पाने के लिए लेकिन कही से भी कोई मदद नहीं मिलती l
अपने इसी गुस्से के फलस्वरूप वह एक महिला की आबरू बचाता है जिसमे खुद बुरी तरह से घायल हो जाता है l उसका यह विडिओ वायरल हो जाता है और मायूस लोग इस कानून व्यवस्था और लचर यन्त्रणा से त्रस्त जनता उसमे अपना हीरो खोजने लगती है l
जाने अनजाने में आदित्य एक प्रेरणा का रूप ले लेता है , रही सही कसर शोशल मिडिया और इंटरनेट पूरी कर देते है l
आदित्य ऐसा कुछ नहीं चाहता था लेकिन सायना उसे सुपरहीरो के रूप जो उम्मीद की लौ जगी है उसे न बुझने देने का वचन लेती है l
फिर क्या होता है यह आप विस्तार से पुस्तक में ही पढ़े l
यदि आपको लगता है के पूरी कहानी का सारांश आपके सामने है तो यकीन मानिए ऐसा कुछ नहीं है l
कहानी की गहराई और बारीकी जितनी कॉमिक्स में है उतने का एक प्रतिशत भी इस रिव्यू में नहीं है l
कहानी बेहद दिलचस्प और बिना किसी जटिलता के कही गयी है ,और पूरा विस्तार दिया गया है , हर पृष्ठ में सात से लेकर आठ पैनल्स तक है जो कहानी को पर्याप्त विस्तार देते है और दिलचस्पी बनाए रखते है l
शुरुवाती बाईस पृष्ठ सिहरन दौड़ा देते है ,आदित्य का कश्मीर मिशन और आतंकवादियों से भिडंत के दृश्य बेहद जबरदस्त है और नैरेशन भी गति लिए हुए मानो आप किसी सजीव दृश्य को देख रहे है l
सेना के इस मिशन में विपरीत परिस्थितियां एवं आत्मघाती घटनाओ के बेहतरीन विवरण किया गया है ,किसी थोथे आडम्बर को प्राथमिकता देने के बजाय सही समय पर सही निर्णय लेने फैसला लेने में दिखाई देरी का भयंकर परिणाम बेहद रोमांचक एवं सत्य के समीप दिखाया गया है l
यह चैप्टर सभी पाठको को सबसे अधिक पसंद आएगा l
दूसरा हिस्सा  आदित्य का समाज से और अपने परिवार से सामंजस्य बिठाने का है , जिसे बेहद रोचक तरीके से नैरेट किया गया है ,खासकर अपनी भांजी सायना से उसके तालमेल को l
किस तरह एक नकचढ़ी और उसे पसंद न करनेवाली किशोर लडकी को उसी के रंग में ढलकर आदित्य अपना बना लेता है वह वाकी काफी प्यारा प्रसंग है l जिसमे आदित्य और सायना का कॉमिक्स प्रेम काफी सहायक होता है ,यहाँ दोनों के संबंधो में कॉमिक्स को आधार बनाया गया है जो बेहद ही बढ़िया प्रयोग है और पाठक जिससे खुद को रिलेट कर सकेंगे l
एक प्रसंग है जिसमे आदित्य टूट चुकी सायना के चेहरे पर दुबारा मुस्कान देखने के लिए तनाव के बावजूद ‘जस्टिस लीग ‘’ की कॉमिक्स खरद कर देता है l
लेकिन सायना अपने सारे कॉमिक्स जला देती है क्योकि उसका वास्तविकता से परिचय हो चूका है ,और वह इन काल्पनिक सुपरहीरोज से नफरत करने लगती है जो इतने शक्तिशाली होने के बावजूद उसके माँ बाप की मदद नहीं कर सके l
उसके इसी नफरत के कारण एक असल सुपरहीरो का उद्गम होता है और उसके विश्वास को कायम रखने के लिए आदित्य अनजाने में एक हीरो बनकर उभरता है l
कुल मिलाकर एक बढ़िया और अलग तरह की सुपरहीरो स्टोरी है जो वास्तविकता के कही नजदीक है , कॉमिक्स फैन्स और सुपरहीरो जेनर को पसंद करनेवालों को अवश्य यह कहानी पसंद आयेगी l


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