शनिवार, 8 सितंबर 2012

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किताब की खुशबू ..

आज क्या बात है पता नहीं लेकिन ऑफिस में आते ही ,
कुछ जानी पहचानी खुशबू महसूस हुयी हलकी हलकी सौंधी सौंधी ,
जो अभी तक है ,’’पुरानी किताबो ‘’ की खुशबू ,आप कहेंगे ये क्या बात हुयी
पुरानी किताबो की भला कैसी खुशबू ?
तो यकीं मानिए मेरी तरह जो भी पुस्तक प्रेमी मित्र है वे सभी इस बात से सहमत होंगे के
पुरानी किताबो की एक अलग ही खुशबू होती है ,
पहली बार मैंने जब महसूस किया था तब मै लगभग तेरह या चौदह साल का

था ,उस वक्त पहली बार अपने ननिहाल गया

था ,वाही पर मेरी मौसी की ढेर सारी किताबे थी ,जिसे मै पढता था ,चाहे वो उनके कॉलेज की हो या कोई मेग्जिन ,लेकिन मै उन्हें पढता रहता ,यहाँ तक के आते हुए उनमे से कई सारी मौसी से ले भी आया वे भी काफी पुरानी और मोती मोती किताबे थी ,लेकिन उनमे से जो हलकी हल्की गंध आती थी उसको मै ब्यान नहीं कर सकता ,शायद यही वजह है के मै बचपन से ही

किताबो का साहित्य का कुछ पढ़ने का शौक़ीन रहा हू , और आगे भी रहूंगा ..

खैर मुझे कारण तो पता चल गया ऑफिस में फैली इस खुसबू का ‘’ दरअसल पुरानी किताबो के एक शिपमेंट आया हूवा है ‘’

उसी की हल्की महक है ,दुसरे किसी को महसूस नहीं हो रही ,लेकिन मुझे महसूस हो रही है ,आपमें से जितने भी पुस्तक प्रेमी मित्र होंगे ,इस बात को वे ही समझ सकते है ,के किताबो की अपनी एक खुशबू होती है जो मंत्रमुग्ध कर देती है ,

एक बार महसूस तो करे ..

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