चलो अब पापी पेट का सवाल है तो ऑफिस जाना ही पड़ता है ,
लेकिन घर से ऑफिस तक का सफर मजेदार होता है ,कुछ ना कुछ हो ही जाता है
जो मेरी कलम का शिकार बन जाए ,
ऐसा ही एक वाकया उन ‘’ केकड़े ‘’ और ‘’ बैल ‘’ महोदय से मुलाक़ात के पहले हूवा था ,
दरअसल मै जंगल पार करके मानव बस्ती में पहुचा था ,मेरे आगे और भी दो चार राहगीर थे ,
सभी सुबह की ठंडी हवा का मजा लेते हुए चल रहे थे मस्ती में ,उनमे से किसी भाईसाहब ने मोब
लेकिन घर से ऑफिस तक का सफर मजेदार होता है ,कुछ ना कुछ हो ही जाता है
जो मेरी कलम का शिकार बन जाए ,
ऐसा ही एक वाकया उन ‘’ केकड़े ‘’ और ‘’ बैल ‘’ महोदय से मुलाक़ात के पहले हूवा था ,
दरअसल मै जंगल पार करके मानव बस्ती में पहुचा था ,मेरे आगे और भी दो चार राहगीर थे ,
सभी सुबह की ठंडी हवा का मजा लेते हुए चल रहे थे मस्ती में ,उनमे से किसी भाईसाहब ने मोब
ाईल
हेडफोन के बजाय स्पीकर पे लगाया था और गाना बजाए जा रहे थे ‘’चिकनी कमर पे तेरी मेरा दिल फिसल गया ,स्ट्रोंग ली ये जादू तेरा मुझ पे चढ गया ‘’
बस इस गाने का बजना ही था के पीछे से एक मोटे ताजे ‘’कुकुर ‘’ महोदय ने हमला बोल दिया ,
गाने वाले भाईसाहब की सिट्टी पिट्टी गूम ,और वे सर पे पाँव रख के भागे ,
अब मै भी था उनके पीछे ही ‘’कुकुर ‘’ महोदय का ये भयानक अवतार देख कर सन्न रह गए ,
उन माह्शय ने पलती मारी मुझे देखा ,वाह क्या कुटिल मुख मुद्रा बनाई थी उन्होंने ,दो कदम पीछे की ओर किये और डॉल्बी डिजिटल साउंड में भोकते हुए हम पर कूद पड़े ,
अब हम क्या करते सूना था के अगर कुत्ते आप पे झपटे तो भागे नहीं शांत खड़े रहे वे अपने आप छुप हो जाते है ,
तो भाई हम भी निर्विकार भाव से खड़े रह गए ( ये बात और है के डर के मारे पाँव हिल ही नहीं रहे थे भागते क्या )
लेकिन उन महोदय का पारा आश्चर्य जनक रूप से ठंडा हो गया ,मै भी थोड़ा आश्वस्त हूवा ,और उन महोदय को प्यार से पुचकारा ..
‘’ अबे बंद कर ये पुचकारना वरना मेरा गुस्सा फिर भडक जाएगा तो समझ लियो ‘’
बापरे मेरी तो सिट्टी पिट्टी गूम ..
मैंने पूछा क्या ‘’हूवा इतने गर्म क्यों हो आज ?’’
‘’क्यों हू मतलब ये देखो जहा भी जाता हू ,इंसान वहा पाँव पसार लेते है ,हम कहा जाए ,हमारी प्राईवेसी भी कोई चीज है सब इंसानों ने खत्म कर दी ,पहले इस रास्ते से कोई नहीं आता था तब सुकून से रहता था ,अब लोगो ने इसे भी रास्ता बना लिया तो मै कहा जाऊ ,खुद आबादी बढाते है और ‘’नसबंदी ‘’हमारी करवाते है ये ‘’
मै तो भौचक रह गया उसकी बात से ,लेकिन उसका लगातार भोकना (माफ करना ‘’बोलना ‘’ ) जारी था ,
‘’ आज सुबह ही देखा मालिक ने टीवी लगाया था उसमे किसी नेता ने कोई घोटाला किया हूवा था ,जिसे देख के मालिक ने कहा ‘’सब साले कुत्ते है ,चोर कही के ,मालिक की बात सुनके मन तो किया के उसके पिछवाड़े पर अपने डेंटल प्रिंट्स की छाप छोड़ ही दू ,लेकिन वफादारी ने रोक लिया .
अब बोलो ये लोग चोर है ,लेकिन ‘’ कुत्ते ‘’ कह के हमे गाली क्यों दे रहे हो आप लोग ?
हमने तो किसी कुत्ते को कभी ‘’नेता ‘’ कह के नहीं गरियाया फिर ये ‘’नेता ‘’ को कुत्ता कह के हमे क्यों गरिया रहे है ?
अब मै समझ चुका था के ‘’कुकुर ‘’ महोदय काफी भावुक हो रहे है ,लेकिन मैंने समझाया ..
‘’अरे भाये इसमें गुस्सा करनेवाली क्या बात है ? वो तो इंसानी फितरत है धोखा देनेवाली उसे दिल से लगाके क्यों अपना दिल छोटा क्र रहे हो ?’’
उसने एक पल मुझे देखा ,और कहने लगा ‘’ अरे नहीं यार एक बार की बात हो तो सह लूँगा लेकिन अभी कल ही किसी ने कहा इन कुत्तों ने भोक भोक के दम कर दिया है नाक में ‘’
अरे क्या हम भोंक रहे है है ? सुबह ही मालिक के टीवी पे देखा वो कोनसा भवन है दिल्ली में ..?
उसमे सारे सफेद परिधान और टोपी वाले क्या कर रहे थे ? वाही जो हम करते है दूसरी कुत्तों के आने पर ,’’भोकना ‘’ बल्कि इस मामले में तो उन्होंने हमे भी पीछे छोड़ दिया है ,
फिर भी हर बार हर गलत काम पे हमारा नाम उछालते हुए इंसानों को शर्म नहीं आती ,
मुझ से और सूना ना गया और सुनता तो आँख नाक से गंगा जमुना का प्रवाह बह जाता इसलिए
मैंने उसे समझाया ‘’जाने दो यार खामखाह गुस्सा मत करो जो जैसा करेगा वैसा भरेगा तुम सही हो ,मै कल से रास्ता बदल दूंगा अब तो खुश और अब दूसरी बात ‘’आदमी तो होता ही है ‘’ कुत्ता ‘’ तुम उसकी बातो से दिल छोटा मत किया करो बस खुश रहो ‘’
अब मेरी बात में फिर से ‘’कुत्ते ‘’ का जिक्र आया तो उसकी आँखे लाल हो गयी ,नथुने फडक उठे ,
अब मैं समझ गया के ‘’निर्विकार ‘’ भाव से खड़े रहने की थ्योरी यहाँ काम नहीं करने वाली ,तो सर पे पाँव रख के भागा और वे महोदय भी मेरे पीछे पीछे अपना सराउंड सिस्टम बजाते हुए ..
हेडफोन के बजाय स्पीकर पे लगाया था और गाना बजाए जा रहे थे ‘’चिकनी कमर पे तेरी मेरा दिल फिसल गया ,स्ट्रोंग ली ये जादू तेरा मुझ पे चढ गया ‘’
बस इस गाने का बजना ही था के पीछे से एक मोटे ताजे ‘’कुकुर ‘’ महोदय ने हमला बोल दिया ,
गाने वाले भाईसाहब की सिट्टी पिट्टी गूम ,और वे सर पे पाँव रख के भागे ,
अब मै भी था उनके पीछे ही ‘’कुकुर ‘’ महोदय का ये भयानक अवतार देख कर सन्न रह गए ,
उन माह्शय ने पलती मारी मुझे देखा ,वाह क्या कुटिल मुख मुद्रा बनाई थी उन्होंने ,दो कदम पीछे की ओर किये और डॉल्बी डिजिटल साउंड में भोकते हुए हम पर कूद पड़े ,
अब हम क्या करते सूना था के अगर कुत्ते आप पे झपटे तो भागे नहीं शांत खड़े रहे वे अपने आप छुप हो जाते है ,
तो भाई हम भी निर्विकार भाव से खड़े रह गए ( ये बात और है के डर के मारे पाँव हिल ही नहीं रहे थे भागते क्या )
लेकिन उन महोदय का पारा आश्चर्य जनक रूप से ठंडा हो गया ,मै भी थोड़ा आश्वस्त हूवा ,और उन महोदय को प्यार से पुचकारा ..
‘’ अबे बंद कर ये पुचकारना वरना मेरा गुस्सा फिर भडक जाएगा तो समझ लियो ‘’
बापरे मेरी तो सिट्टी पिट्टी गूम ..
मैंने पूछा क्या ‘’हूवा इतने गर्म क्यों हो आज ?’’
‘’क्यों हू मतलब ये देखो जहा भी जाता हू ,इंसान वहा पाँव पसार लेते है ,हम कहा जाए ,हमारी प्राईवेसी भी कोई चीज है सब इंसानों ने खत्म कर दी ,पहले इस रास्ते से कोई नहीं आता था तब सुकून से रहता था ,अब लोगो ने इसे भी रास्ता बना लिया तो मै कहा जाऊ ,खुद आबादी बढाते है और ‘’नसबंदी ‘’हमारी करवाते है ये ‘’
मै तो भौचक रह गया उसकी बात से ,लेकिन उसका लगातार भोकना (माफ करना ‘’बोलना ‘’ ) जारी था ,
‘’ आज सुबह ही देखा मालिक ने टीवी लगाया था उसमे किसी नेता ने कोई घोटाला किया हूवा था ,जिसे देख के मालिक ने कहा ‘’सब साले कुत्ते है ,चोर कही के ,मालिक की बात सुनके मन तो किया के उसके पिछवाड़े पर अपने डेंटल प्रिंट्स की छाप छोड़ ही दू ,लेकिन वफादारी ने रोक लिया .
अब बोलो ये लोग चोर है ,लेकिन ‘’ कुत्ते ‘’ कह के हमे गाली क्यों दे रहे हो आप लोग ?
हमने तो किसी कुत्ते को कभी ‘’नेता ‘’ कह के नहीं गरियाया फिर ये ‘’नेता ‘’ को कुत्ता कह के हमे क्यों गरिया रहे है ?
अब मै समझ चुका था के ‘’कुकुर ‘’ महोदय काफी भावुक हो रहे है ,लेकिन मैंने समझाया ..
‘’अरे भाये इसमें गुस्सा करनेवाली क्या बात है ? वो तो इंसानी फितरत है धोखा देनेवाली उसे दिल से लगाके क्यों अपना दिल छोटा क्र रहे हो ?’’
उसने एक पल मुझे देखा ,और कहने लगा ‘’ अरे नहीं यार एक बार की बात हो तो सह लूँगा लेकिन अभी कल ही किसी ने कहा इन कुत्तों ने भोक भोक के दम कर दिया है नाक में ‘’
अरे क्या हम भोंक रहे है है ? सुबह ही मालिक के टीवी पे देखा वो कोनसा भवन है दिल्ली में ..?
उसमे सारे सफेद परिधान और टोपी वाले क्या कर रहे थे ? वाही जो हम करते है दूसरी कुत्तों के आने पर ,’’भोकना ‘’ बल्कि इस मामले में तो उन्होंने हमे भी पीछे छोड़ दिया है ,
फिर भी हर बार हर गलत काम पे हमारा नाम उछालते हुए इंसानों को शर्म नहीं आती ,
मुझ से और सूना ना गया और सुनता तो आँख नाक से गंगा जमुना का प्रवाह बह जाता इसलिए
मैंने उसे समझाया ‘’जाने दो यार खामखाह गुस्सा मत करो जो जैसा करेगा वैसा भरेगा तुम सही हो ,मै कल से रास्ता बदल दूंगा अब तो खुश और अब दूसरी बात ‘’आदमी तो होता ही है ‘’ कुत्ता ‘’ तुम उसकी बातो से दिल छोटा मत किया करो बस खुश रहो ‘’
अब मेरी बात में फिर से ‘’कुत्ते ‘’ का जिक्र आया तो उसकी आँखे लाल हो गयी ,नथुने फडक उठे ,
अब मैं समझ गया के ‘’निर्विकार ‘’ भाव से खड़े रहने की थ्योरी यहाँ काम नहीं करने वाली ,तो सर पे पाँव रख के भागा और वे महोदय भी मेरे पीछे पीछे अपना सराउंड सिस्टम बजाते हुए ..
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