कलाकार : रानी
मुखर्जी ,जिशुसेन गुप्ता ,ताहिर राज
निर्माता : आदित्य
चोपड़ा ,
निर्देशक : प्रदीप
सरकार .
लगातार आति बेमतलब
की मसाला फिल्मो की बाढ़ में एक्का दुक्का हटकर फिल्मे अपना प्रभाव छोड़ जाती है !
‘मर्दानी ‘ भी उसी
श्रेणी में आती है ,फिल्म का विषय चाईल्ड ट्रैफिकिंग है इसलिए कुछ दृश्यों को संवेदनशील
माना गया है जो विचलित करते है ,इसी कारण फिल्म विवाद में भी रही !
इस फिल्म के
साथ ही रानी मुखर्जी ने शानदार वापसी की है ऐसा कह सकते है ,ट्रेलर से यदि आप इसके
मसालेदार और एक्शन से परिपूर्ण फिल्म समझने की भुल कर रह है
तो अपनी ग़लतफ़हमी दूर
कर लीजिये ,यह फिल्म उस श्रेणी की नहीं है ,फिल्म में चूँकि रानी ने
एक कडक पुलिस
ऑफिसर का किरदार निभाया है तो उनकी तुलना ‘सिंघम ‘ एवं ‘दबंग ‘ से भी की गयी ,
जबकि ऐसा बिलकुल भी
नहीं है !यह चलताऊ कहानी का कामचलाऊ किरदार बिलकुल भी नहीं है .
आते है कहानी पर ,’शिवानी
रॉय ‘( रानी मुखर्जी ) क्राईम ब्रांच में सीनियर इंस्पेक्टर है ,जो शादी शुदा है
,
और अपने पति विक्रम ( जीशु सेनगुप्ता ) के साथ रहती है ,उनकी एक बच्ची ‘मीरा ‘ भी
है ,
शादी शुदा जिन्दगी और
पुलिस की नौकरी में
उसका तालमेल गजब का है ! घर में जहा वह नरमदिल है तो ड्यूटी पर एक सख्त अफसर .
‘शिवानी ‘ का एक अनाथ
बच्ची ‘प्यारी ‘ के साथ बहुत लगाव है ,जो एक एन जी ओ में रहती है !
‘मीरा ‘ और ‘प्यारी ‘
भी आपस में दोस्त है ,सब कुछ ठीक चल रहा होता है के अचानक एक दिन ‘प्यारी ‘
लापता हो जाती है !
शिवानी इस सिलसिले में एन जी ओ में पूछताछ करती है तो पता चलता है के ‘प्यारी ‘ की
गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा कर इतिश्री कर ली गयी है !
बाकी उसके गायब होने से
किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा , शिवानी मामले की जांच खुद शुरू कर देती है ,
जिसमे उसके
हाथ हाथ एक संदिग्ध लगता है !
जिसके बाद शिवानी की
जांच तेज रफ़्तार से आगे बढती है ! और वह इन सबके मुख्य सूत्रधार तक पहुँचती है
जिसे लोग ‘वकील ‘ के नाम से जानते है ,तब शिवानी को पता चलता है के लडकियों के
गायब होने का
कारोबार बहुत बड़े ऑर्गनाईजेशन द्वारा प्लान किया जाता है !
यह एक बहुत
बड़ा रैकेट है जिसमे कई बड़े लोग भी शामिल है ! बच्चियों के अपहरण करके उन्हें देह
व्यापार
के दलदल में धकेलने का यह काम देश विदेश के लेवल पर हो रहा है ,अपहरण लडकिया किसी वस्तु की तरह यहाँ से वहा सप्लाई की जा रही है .
शिवानी जब वकील तक
पहुँचने ही वाली होती है तभी वकील कोई और रास्ता न देख आत्महत्या कर लेता है !
लेकिन अभी यह रैकेट खत्म नहीं हुवा शिवानी तब जानकर हैरान रह जाती है के इस रैकेट
का सरगना कोई और है
‘करन रस्तोगी ‘(
ताहिर भसीन ) इन सबका सूत्रधार है ! अब ताहिर और शिवानी में लुका छिपी ,
शाह और मात
का खेल शुरू होता है जिसमे दांव पर लगी सैकड़ो मासूम बच्चिया !
और इनहे बचाने के
चक्कर में खुद शिवानी भी इनके हत्थे चढ़ जाती है ,जिसे बाजार में पेश करने की
तैय्यारिया शुरू कर दी जाती है ,फिर क्या होता है ?
यही आगे का भाग है .
फिल्म में अभिनय की
बात करे तो फिल्म का मुख्य चरित्र रानी है ! तो सारा दारोमदार इन्ही पर टिका हुवा
है ,
और बेशक शिवानी राव के किरदार को पूरी सजगता के साथ निभाया है ,हां शुरुवाती
दृश्यों में
जबरदस्ती इस किरदार को लाउड बनाने की कोशिश की गयी जो के बहुत जल्दी सुधार ली जाती है .
मुख खलनायक के
किरदार में ताहिर भी ठीक थक जमे है ,फिल्म
का विषय चूँकि बोल्ड है इसलिए
कुछ दृश्य विचलित करते है लेकिन यही इस घिनौने अपराध
की सच्चाई है जिसे नकारा नहीं जा सकता ,
सिस्टम का दबाव होने के बावजूद जिस तरह
शिवानी एक महिला की लड़ाई खुद लडती है वह सच में प्रेरक है ,
अभी भी हमारा समाज कई
विषयों को हल्के में लेता है जिसमे ह्यूमन ट्रैफिकिंग
( ख़ास तौर से चाईल्ड ) को तो
अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है !
उसकी भयावहता का एक अंश भर इसमें दिखाने का
प्रयास किया गया है .
फिल्म एक अच्छे
सन्देश के साथ खत्म होती है !
फिल्म में न गीत है
और न ही कोई जबरदस्ती का एक्शन ,
जबकि एक्शन की गुंजाईश इस फिल्म के कई दृश्यों में
थी !
जहा साफतौर पर एक्शन सिक्वेंस बनाये जा सकते थे ,लेकिन इन सबसे बच कर
निर्देशक ने
फिल्म को वास्तविक धरातल पर दिखाते हुए उसकी गरिमा बनाये रखी ,
फिल्म
में कोई गीत नहीं है जो के फिल्म की कहानी को देखते हुए सही निर्णय है .
एक बढ़िया प्रयास !
देखनेलायक फिल्म.
साढ़े तीन स्टार
देवेन पाण्डेय
आज जाकर देखूंगा
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया समीक्षा :)
जवाब देंहटाएं-राहुल आर शर्मा
trailor me maza nahi aya tha par aap ne tareef ki hai to dekhna to banta hai
जवाब देंहटाएंaap hume pahchaan to rahe hai na
जवाब देंहटाएंभला आपको न पहचानने की क्या वजह रही भीष्म जी
हटाएंआपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 25 . 8 . 2014 दिन सोमवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आशीष भाई । अवश्य पधारुंगा
हटाएंभाई देवेन पाण्डेय जी फ़िल्म ''मर्दानी'' की बहुत खूब समीक्षा की है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अभिषेक जी
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