कलाकार
: सिद्धार्थ मल्होत्रा, रितेश देशमुख, श्रद्धा कपूर ,
रेमो फर्नाडींज, शाद रंधावा,
निर्देशक : मोहित सूरी
निर्माता
: शोभा कपूर
गुरु
(सिद्धार्थ मल्होत्रा) एक गैंग्स्टर है और वह ‘सीजर ('रेमो
फर्नाडींस) के लिए काम करता है !
गुरु एक बेहद क्रूर एवं हत्यारा व्यक्ति है, जो हरदम आवेश में रहता है !
गुरु एक बेहद क्रूर एवं हत्यारा व्यक्ति है, जो हरदम आवेश में रहता है !
ऐसे में ‘आयशा ‘ ( श्रद्धा कपुर )
उसकी काली अँधेरी दुनिया में एक रौशनी की किरण बन कर आती है ! आयशा लोगो को खुश
देखना पसंद करती है ,
जिसके लिए वह कई अटपटे कारनामे करती रहती है !
अपने ऐसे ही एक कारनामे में वह गुरु को जबरन शामिल कर लेती है ,
तो गुरु उस से पीछा छुड़ाने की कोशिश करता है ,
अपने ऐसे ही एक कारनामे में वह गुरु को जबरन शामिल कर लेती है ,
तो गुरु उस से पीछा छुड़ाने की कोशिश करता है ,
लेकिन आयशा को एक लाईलाज बिमारी है ( कौन सी ,
यह बताना निर्देशक ने जरुरी नहीं समझा )
इस से गुरु को उसके प्रति हमदर्दी हो जाती है और वो आयशा के सपने पूरे
करने में उसका साथ देने लगता है ,
और यह हमदर्दी धीरे धीरे मोहब्बत में तब्दील हो जाती है .
आयशा और गुरु शादी कर लेते है !
दूसरी ओर एक साधारण सी टेलीफोन कम्पनी में मैकेनिक के तौर पर काम करनेवाला राकेश
यह बताना निर्देशक ने जरुरी नहीं समझा )
इस से गुरु को उसके प्रति हमदर्दी हो जाती है और वो आयशा के सपने पूरे
करने में उसका साथ देने लगता है ,
और यह हमदर्दी धीरे धीरे मोहब्बत में तब्दील हो जाती है .
आयशा और गुरु शादी कर लेते है !
दूसरी ओर एक साधारण सी टेलीफोन कम्पनी में मैकेनिक के तौर पर काम करनेवाला राकेश
( रितेश देशमुख ) एक नाकामयाब व्यक्ति है जिसे हमेशा
जिल्लत ही मिलती रही है ,
उसकी बीवी सोनु( आमना शरीफ )भी आए दिन उसे ताने देती रहती
है,
लेकिन वह चाहने के बावजुद भी अपनी बीवी को कुछ नहीं कर सकता
क्योकि वह उसे
बेहद चाहता है ! अपनी बीवी के लिए अंदर ही अंदर पनपता गुस्सा उसे मानसिक रूप से
विकृत बना देता है ,
और वह अपनी बीवी को छोड़ हर उस औरत का कत्ल करने लगता है
जो उस
पर चिल्लाती है तंज कसती है .
गुरु भी अपने अपराध की दुनिया को अलविदा कह चुका है ,
गुरु भी अपने अपराध की दुनिया को अलविदा कह चुका है ,
और सीजर को भी इस से कोई आपत्ति नहीं ! अब वह एक सामान्य व्यक्ति की तरह आयशा
के साथ खुश है ,
लेकिन उनकी खुशियों को ग्रहण लग जाता है जब आयशा का राकेश से सामना
होता है .
राकेश आयशा का
बेरहमी से कत्ल कर देता है ,जिसके बाद गुरु पागल सा हो जाता है,
और वह उस सीरियल
किलर की तलाश में निकल पड़ता है , गुरु और राकेश का आमना सामना होता है लेकिन गुरु
उसे बुरी तरह घायल करके छोड़ देता है !
गुरु उसे एकदम से नहीं मारना चाहता वह राकेश
को तिल तिल करके मारना चाहता है ,
लेकिन गुरु की वजह से राकेश की असलियत दुनिया के
सामने आ जाती है ,
और उसकी बीवी भी पुलिस की हिरासत में आ जाती है !
जिस वजह से
राकेश क्रोध में आ जाता है और वह खुद गुरु की तलाश में निकल पड़ता है ,
फिर क्या
होता है ? जब दो जुनूनी और पागल व्यक्ति एकदूसरे के जान के प्यासे हो ? दोनों के
टकराव का क्या अंजाम होता है ? यही बाकी कहानी है .
यह एक सस्पेंस फिल्म
नहीं है ,जैसा के प्रचारीत किया गया है !
क्योकि सीरियल किलर के रूप में रितेश की
शिनाख्त पहले ही बता दी जाती है ,
फिल्म थ्रिलर और रोमांटिक एंगल लिए हुए है .
अभिनय की बात करे तो
श्रद्धा कपूर अपनी ओवर एक्टिंग के बावजूद
प्रभाव छोड़ने में सफल है ,लें फिल्म जिन
दो कंधो पर टिकी है वे है सिद्धार्थ और रितेश देशमुख ,
जहा सिद्धार्थ के साथ ही
अपना डेब्यू करनेवाले वरुण धवन चालु मसाला फिल्मो में नजर आ रहे है वही सिद्धार्थ ने
सही वक्त पर सही फिल्म को चुनकर समझदारी का परिचय दिया !
सिद्धार्थ की अदाकारी (
हालांकि की कई जगहों पर उनके एक से भाव अखरते भी है ,
किन्तु कहानी के हिसाब से सही
है ) प्रभावित करती है .
फिल्म का रोमांटिक
एंगल भी बढ़िया बन पड़ा है ,
आयशा और गुरु की प्रेमकहानी फिल्म की मजबुत नींव बनती है
.
वही एक बेबस और
लाचार व्यक्ति के रूप में रितेश सहानुभूति के पात्र बनते है किन्तु साईको किलर के
रूप में घृणा के भी !
रितेश ने दोनों पहलु बखूबी प्रस्तुत किये है .
कहानी में यदि दिमाग
लगाए तो बहुत से लुप होल्स मिलेंगे
जैसे इतने खतरनाक गैंग्स्टर गुरु का खुलेआम
समाज में रहना, घुलना मिलना !
उसके खिलाफ एक महिला का गवाही सिर्फ इसलिए न देना के
उसे उपरवाले की सजा पर
यकींन है जो वो गुरु को देगा ,पूरी फिल्म में ऑफिसर बने ‘शाद
रंधावा ‘गुरु के हर इरादे को नाकाम करते रहते है, किसी बदले वदले की बात को लेकर
(
जो क्या है यह बताना भी जरुरी नहीं समझा गया ) और भी कई है जो तार्किकता की कसौटी
पर खरे नहीं उतरते, किन्तु फिर भी फिल्म प्रभाव छोडती है और दर्शको को बांधे रखती
है अंत तक .
संगीत पक्ष मधुर है
और कई गीत पहले ही हिट हो चुके है !
‘तेरी गलिया ,बंजारा ,जरुरत ! आदि गीत रूमानी
अहसास लिए हुए है जो दिल में उतर जाते है , हां कमाल खान भी एक छोटी सी भूमिका में
नजर आते है जो राकेश के मित्र के रूप में है वह जितना राकेश को इरिटेट करता है,
उतना ही दर्शको को भी !
पता नहीं निर्माताओ की कौन सी मज़बूरी रही होगी .
बहरहाल मधुर संगीत
एवं थ्रिलर के शौक़ीन दर्शको को यह फिल्म अवश्य पसंद आयेगी .
तीन स्टार पांच में
से
देवेन पाण्डेय
Achchi samiksha
जवाब देंहटाएंधन्यवाद योगेश जी ,ब्लॉग पर आने एवं समीक्षा पढने हेतु धन्यवाद .
हटाएंBahut achche se review kiya hai aapne...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद चिन्मय जी
हटाएंbehtareen likhawat hai sir ji..:)
जवाब देंहटाएंउत्साह वर्धन हेतु धन्यवाद उमाशंकर शुक्ल जी ! एवं समीक्षा पढने हेतु भी धन्यवाद स्वीकार कीजिये
हटाएंaap ko shayad film se thodi nirasha jaroor huyi hai aisa mujhe lagta hai, aur mujhe to gana pasand nahi aye es film k baki film dekh k batatey hai
जवाब देंहटाएंनहीं भीष्म जी हमें निराशा नहीं हुयी ! हमें फिल्म पसंद आई है ,हालांकि यह कोरियन फिल्म I SAW THE DEVIL से प्रेरित है किन्तु फिर भी यह फिल्म अच्छा मनोरंजन करती है !
हटाएंऔर जो फिल्म हमारा मनोरंजन करे हमें वह पसंद आती है चाहे क्रिटिक्स की जो भी राय हो .
aap mere ko pahchaan rahe hai na...
जवाब देंहटाएंmujhe aisa laga tha khair koi nahi
mai jaunga dekhne waise bhi agar wife kah rahi hai to jana he padega
भला आपको न पहचानने की क्या वजह हुयी जी ? आप तो हमारे फेसबुक मित्र भी है
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