शनिवार, 26 मार्च 2016

भोजपुरी बैटमैन बिरुद्ध सुपरमैन

यदि ‘’डौन ऑफ़ जस्टिस ‘’ भोजपुरी में आती तो उसका ट्रेलर कैसा होता ?
( पोस्ट केवल मनोरंजन के लिए है ,अन्यथा न ले )
ब्रूस वेन अपनी कार से उतर कर लेक्स लूथर की पार्टी में आता है .
चारो ओर शोर ‘’ ब्रूस आई गवा , ब्रूस आई गवा ‘’
क्लर्क केंट : श्रीमान वेन ,’’रोज के धरती’’ से हम क्लार्क केंट ,गाथम पर बैटमैन के निगरानी के बारे में तोहार का बिचार बा ?
‘’ तोहरे सहर में लोगन के आजादी के कुचलल जा रहल बा l लोग बाग़ दहसत में जी रहल बाडन , रुवुआ खुद के कानून के भी उपर समझेला .’’
ब्रूस वेन : दूसरा पे ऊँगली उठावे के पहिले ‘’रोज के धरती ‘’ के आपने गिरेबान में झांके के चाहि ,का बिचार बा ? जब जब राउर सुपरहीरो कौनो पेड़ पर फंसल बिलरी के भी बचावेला ,तब रउवा अखबार ढिंढोरा पिट देत बा , ई ससुर एक ‘’एलियन ‘’ बा जे दुनिया के तबाह कर सकेला I
( लेक्स लूथर बिच में आता है ताली बजाते हुए )
दोस्तों ,ब्रूस वेन मिलले क्लर्क केंट से l का बात है , लोगन के मिलावल हमका बहुत पसंद बा , ( ब्रूस से हाथ मिलाते हुए ) ‘’ का हाल चाल बा ‘’
ब्रूस : सब ठीक बा .
क्लार्क से हाथ मिलाते हुए : आऊ बड़ी जोर पकड़ बा गुरु  l इनसे पंगा कबहू न लेई .
बैकग्राउंड वोईस : निर्देशक जैक स्नाइडर के पेसकस
लेक्स अमरीकी सेनेटर से : पता बा अमरीका के सबसे बड़का झूठ का बा ?के ताकत केहू के नुकसान न पहुंचा सकेला .
बैकग्राउंड वोईस : दूई हजार सोलह में
अल्फ्रेड ब्रूस से : रउवा ओकरा से लडल चाही ? सनक गईला बाड़े का ?
ब्रूस : हां उ ससुर के नाती हमका ई झमेला में फसवले ह l
अल्फ्रेड : रउवा जानत बाड़े रउवा जीत ना सकेला , इ आत्महत्या बाड़े .
लेक्स की आवाज बैकग्राउंड में : दुनिया के इतिहास मा सबसे जबर लडाकन के युद्ध ‘’ क्रिप्टन के लौंडा बिरुद्ध गाथम के चमगादड़ ‘’
लुईस लेंस लेक्स से : तू सठिया गईल बाड़ .
लेक्स : तीन आखर के ये शब्द तोहरे छोटके बकलोल मगज के बस के बाहर के बा .
बैकग्राउंड में बैट की आवाज सुपरमैन से लड़ते हुए : एक मनई का होत है ,ई तोहके समझावे के समय आ गईल बा .
सुपरमैन : ओही रुकी ! अगर हम तोहके मारी के चाहती तो अब तक मुआ देती .
लेक्स की आवाज , डूमसड़े को बनाते हुए : अगर मनई भगवान के ना मारी त शैतान मार देई
सुपर मैन लेक्स से : ई का कई देहल तू सारे ?
डूमसड़े बिल्डिंग्स को तबाह करते हुए बैटमैन की ओर आकर रुका ! और आँखों से लेजर छोड़ी
बैटमैन : तू ता गईला बेटा बैटमैन ( एक्स्ट्रा डायलोग )
तभी बिच में वंडर वूमेन आकर लेजर का वार ढाल पर रोक लेती है l सुपरमैन उसे देखकर भौंचक्का है .
सुपरमैन बैट मैन से : ई कंटीली तोहरे साथ बा ?
बैटमैन : हमनी के लागल तोहार सेटिंग बा .
जोरदार बैकग्राउंड म्यूजिक और बैटमैन, सुपरमैन , वंडर वूमेन लड़ने की पोजीशन में खड़े हुए .
बैकग्राउंड : बैटमैन बिरुद्ध सुपरमैन , इन्साफ के भोर ..
जल्द आ रहल बा नजदीकी सिनेमा घरन में .



गुरुवार, 24 मार्च 2016

फिल्म एक नजर में : बैटमैन वर्सेज सुपरमैन : डौन ऑफ़ जस्टिस .

भारत कॉमिकस अभी भी बच्चो की चीज मानी जाती है ,जबकि पाश्चात्य देशो में यह काफी उपर उठ चुकी है और वहा यह संस्कृति का हिस्सा है l कॉमिक्स चरित्रों की लोकप्रियता ही है के हर साल अच्छी खासी तादाद में सुपरहीरो फिल्मे सिल्वर स्क्रीन पर दस्तक देती है और सफलता के परचम लहराती है ,
( अफ़सोस बॉलिवूड को अभी भी प्यार मोहब्बत ,एन आर आई स्टोरीज से ही फुर्सत नहीं ) कॉमिक इंडस्ट्री में दो ही कम्पनीज दिग्गज मानी जाती है , जिनमे से एक है ‘’मार्वल ‘’ और ‘’डीसी ‘’
दोनों का अपना अपना स्टाईल है और दोनों के ही जबरदस्त फैन बेस है l और दोनों में प्रतिस्पर्धा भी होती रहती है जिसमे मार्वल हमेशा बाजी मार लेता है ( कहानी के मामले में नहीं ) मार्वल की मार्केटिंग जोरदार होती है और वे प्रचार के लिए जी जान लगा देते है ,उनकी कहानिया भी अधिकतर लाईट ट्रीटमेंट लिए होती है l वही डीसी को यदि मार्केटिंग के तराजू पर तौला जाये तो पलड़ा हमेशा मार्वल के पक्ष में ही भारी रहता है , डीसी मार्केटिंग में चूक जाती है और उनकी हर फिल्म में अच्छा खासा गैप भी होता है l जब तक डीसी की एक फिल्म आती है ,मार्वल अपनी तीन तीन रिलीज कर देता है .
खैर बात करते है डीसी यूनिवर्स की फिल्म  बैटमैन वर्सेज सुपरमैन : डौन ऑफ़ जस्टिस की , जिसकी प्रतीक्षा हर कॉमिक्स फैन को अरसे से थी , कॉमिक्स में कई बार साथ आ चुके बैटमैन और सुपरमैन को लाईव एक्शन में देखने की इच्छा हर कॉमिक फैन के मन में थी l
और आज यह फिल्म रिलीज हुयी , फिल्म की कहानी शुरू होती है ब्रूस वेयन के बचपन की झलक से ,जब उसके माता पिता की मौत होती है और वह बैटमैन बनने की ओर अग्रसर होता है .
कहानी का लिंक डीसी की पिछली फिल्म ‘’मैन ऑफ़ स्टील ‘’ से जुड़ा हुवा है l सुपरमैन ( हेनरी केविल ) के धरती पर आने और उसके ग्रह वासियों के हमले से मेट्रोपोलिस शहर लगभग तबाह हो जाता है , जिसमे ब्रूस वेयन ( बेन एफ्लेक ) की कम्पनी की एक इकाई भी तबाह हो जाती है और कई कर्मचारी मारे जाते है l अब वह सुपर मैन को एक बड़े खतरे के रूप में स्वीकार कर चूका है , और अपने आप को सुपरमैन से भिडंत के लिए तैय्यार करता है , एक ओर सनकी साईंटिस्ट  लेक्स ल्युथर ( जेसे आयसनबर्ग ) भी सुपरमैन को सरकार के सामने एक शक्तिशाली खलनायक के रूप में प्रस्तुत करता है और जनरल जोड़ ( जो मैन ऑफ़ स्टील में सुपरमैन के हाथो मारा गया था ) के शरीर पर कुछ एक्सपेरिमेंट की इजाजत मांगता है ,ताकि वह सुपरमैन की कमजोरी तलाश सके .
दूसरी ओर बैटमैन को जुर्म के खिलाफ लड़ते हुए बीस साल हो चुके है l अब वह बदल चूका है और पहले से कही ज्यादा खूंखार हो गया है , अब वह अपराध से लड़ने के लिए कोई कायदे कानून या रहम नही अपनाता l उसके अपराध से लड़ने का तरीका  क्लर्क केंट उर्फ़ सुपर मैन को पसंद नहीं और दोनों में टकराव की वजहे जन्म ले चुकी है ,जिसमे काफी हद तक लेक्स का भी हाथ है .
एक मोड़ पर आकर दोनों एकदूसरे के विरुद्ध आमने सामने आ खड़े होते है l एक महाशक्तिशाली एलियन और एक स्मार्टेस्ट डिटेक्टिव और क्राईम फाइटर ,फिर होती है भिडंत l जीते कोई भी हार मानवता की ही होनी है , फिर क्या होता है यह फिल्म में ही देखना उत्तम रहेगा .
फिल्म का ट्रीटमेंट डार्क है , जिस तरह की डीसी यूनिवर्स का हमेशा होता है l हेक फुल्के पल फिल्म में बिलकुल भी नहीं है l फिल्म की कहानी मध्यांतर के पहले काफी धीमी है जो फिल्म का माईनस पॉइंट है , जिस वजह से फिल्म जरुरत से ज्यादा लंबी भी हो गयी है , फिल्म मध्यांतर के बाद गति पकडती ही और जिसके बाद एक्शन शुरू होता है तो अंत में खत्म होता है ! फिल्म का क्लाईमैक्स अनपेक्षित है जो कतई हजम नहीं होता .
एक्टिंग की बात करे तो हेनरी सुपरमैन की भूमिका में जम चुके है , फिल्म का प्लस पॉइंट है बेन एफ्लेक का बैटमैन होना l आज तक बनी बैटमैन फिल्मो से यदि तुलना की जाये तो बैटमैन की पोशाक केवल बेन एफ्लेक पर ही जंची है , निर्देशक जैक स्नाईडर का बनाया बैट मैन अब तक का सबसे शक्तिशाली बैटमैन है जो सुपर मैन से भी टक्कर लेने की कुव्वत रखता है ( जबकि यह सम्भव नहीं )
सुपर मैन और बैटमैन के आलावा एक और महिला किरदार की भी दमदार इंट्री हुयी है ( वंडर वूमेन ) जिसे अंत में सुपर मैन और बैट मैन के साथ एक टीम बन कर लड़ता देखना काफी अच्छा लगता है .
फिल्म में कुछ और डीसी किरदारों का स्पष्ट हिंट मिलता है जो निस्संदेह डीसी की सुपरहीरो टीम ‘’जस्टिस लीग ‘’ का हिस्सा बनने वाले है l और यह एक कॉमिक फैन के लिए निस्संदेह सबसे बड़ी खबर है .
ऎसी फिल्मो के दर्शक दो वर्गो के होते है , एक वे जो कॉमिक्स पढ़ते है और इन चरित्रों को भलीभांति जानते है l जिनके कोई भी कारनामे उन्हें हैरान नहीं करते ,
दूसरा वर्ग वह है जो इन हीरोज को केवल फिल्मो से जानता है l उसके पहले का उन्हें कुछ नहीं पता ,पता भी हो तो आधी अधूरी जानकारी होती है ,
कहने का मतलब यह है ,के पहले वर्ग के दर्शको के लिए फिल्म का कोई भी तर्क या लॉजिक निराधार है और उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता l वे केवल सुपरहीरो को इंजॉय करने आये है .
दूसरा वर्ग अपने आपको इन सबसे असहज महसूस करता है ! उन्हें यह हजम नहीं होगा के बैटमैन सुपरमैन के मुकाबले कैसे खड़ा हो सकता है ( क्योकि वे उससे केवल उतना ही परिचित है जितना फिल्मो में देखा है ) !
कुल मिला कर फिल्म देखनेलायक तो है ही l जहा बैटमैन और सुपरमैन एक साथ आये वहा इतना कारण ही पर्याप्त है देखने के लिए .
साढ़े तीन स्टार .
देवेन पाण्डेय

                                                          


रविवार, 6 मार्च 2016

फिल्म एक नजर में : लंडन हैज फॉलेन .


कुछ अरसे पहले दो फिल्मे एक ही विषय पर आई थी , ओलंपियस
हैज फॉलेन ,और रोलेंड एम्मरिक की ‘’व्हाईट हाउस डाउन ‘’ जिनमे अमरीका एवं  व्हाईट हाउस पर हुवा हमला केंद्र में था ,दोनों में से ओलम्पियस हैज फॉलेन शानदार बनी थी , उसी की अगली कड़ी है ‘’लंडन हैज फॉलेन’’
कहानी : अमरीकी ड्रोन हमले में एक आतंकवादी सरगना का परिवार मारा जाता है ,और वह अमरीकी सरकार को सबक सिखाने की ठान लेता है ,
वही व्हाईट हाउस पर हुए हमले के बाद से परिवार की चिंता में प्रेजिडेंट का स्पेशल फ़ोर्स एजेंट ‘माइक बैनिंग ( गेरार्ड बटलर ) अब इस्तीफा देने के विचार में है ,
इसी बिच लंडन के प्रेजिडेंट की दिल के दौरे से मृत्यु हो जाती है और उनकी शोकसभा में हिस्सा लेने के लिए कई देशो के प्रेजिडेंट ब्रिटेन आ रहे है l जिनमे अमरीकी प्रेजिडेंट ‘’बेंजामिन अशर ( एरोन एकहर्ट ) भी शिरकत करते है , अमरीकी सुरक्षा एजेंसिया किसी भी गडबडी के लिए मुस्तैद है ,और  माईक को वापस ड्यूटी पर आना पड़ता है ,
लेकिन लंडन पहुंचते ही भीषण और सुनियोजित आतंकवादी हमले होते है ,
 शहर में अफरातफरी मच जाती है और देखते ही देखते अलग अलग आतंकवादी हमलो की श्रुंखलाओ में पांच देशो के प्रेजिडेंट मारे जाते है , 
इस भीषण हमले से पूरा विश्व सकते है !
माईक इस हमले में किसी तरह से अमरीकी प्रेजिडेंट को बचा तो लेता है
 किन्तु अब लंडन सुरक्षित नहीं रह गया है ,संचार व्यवस्था ठप्प है ,
ब्रिटेन सुरक्षा विभाग के अंदर तक आतंकवादी गुप्त रूप से मौजूद है 
और लंडन अब एक युद्ध का मैदान बन चूका है , 
सारे आतंकवादी और गद्दारों को अमरीकी प्रेजिडेंट की तलाश है , 
अब माईक अकेला है और उसपर है सबसे बड़ी जिम्मेदारी ,फिर क्या होता है
 यह कहानी का अगला हिस्सा है .
माईक के रूप में गेरार्ड पिछली भूमिका के विस्तार में है और फिल्म का केंद्र भी वही है ,
आतंकवादी हमलो की भीषणता देख एक बारगी दर्शक भी हतप्रभ रह जाता है, 
यही बात हजम नहीं होती ! 
जहा अनेक देशो के प्रेजिडेंट होंगे वहा सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी होगी ,
उनके खुद के सुरक्षा एजेंट्स भी होंगे , ऐसे में कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता !
 यह बात तर्क से परे है के अचानक ही इतनी सुरक्षा व्यवस्था और
 प्रेजिडेंट्स की मौजूदगी में हर सडक , हर आतंकवादी हर गद्दार के हाथो में एके सैतालिस ,
ग्रेनेड ,रोकेट लौन्चर , विस्फोटक और अत्याधुनिक हथियार आ जाते है ,
वो भी बिना किसी की नजर में आये ! किन्तु कहानी को दिखाना ही था ब्रिटेन में अमरीकी प्रेजिडेंट पर हमले के रूप में ,तो इतनी छूट वो भी होलीवूड़ में ,चलता है .
आतंकवादी हमलो के दृश्य कमाल के बने है ,पिछले भाग को देखते हुए इसमें जबर्दस्त एक्शन की उम्मीद थी ,लेकिन इस मामले में फिल्म थोड़ी उन्नीस रह गई , क्लाईमैक्स में आतंकवादियों से गन टू गन एनकाउंटर एकदम किसी विडिओ गेम की तरह बने है , रोमांचक .
एक्शन प्रेमियों के लिए है फिल्म तो एक बार तो देख ही सकते है .
तीन स्टार
देवेन पाण्डेय

  

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