शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

गरीब आज भी मरता है !


खुद भूखे पेट सोता है, लेकिन परिवार के लिये दो वक्त की रोटी की जुगाड़ में..
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
सपने पुरे हो नहीं सकते , फिर भी सपने देखने के लिये ..
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
खुद पढ़ नहीं पाया, लेकिन बच्चे अनपढ़ न रह जाये इसलिए ..
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
घासलेट महंगी हो गई ! गैस महंगी हो गई ! लकड़ी खत्म हो गई ,

चूल्हे की आग ठंडी पड़ी है ,लेकिन पेट में आग लिये ..
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
महंगाई का पहाड़ सामने सही ,किन्तु मेहनत की हथौड़ी से पहाड़ तोड़ने के लिये
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
आखिरी बार दाढ़ी कब की थी पता नहीं , बेटे की क्लीन शेव के लिये
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
चप्पल की बद्दी जवाब दे चुकी है लेकिन बच्चो के ‘’ शूज ‘ के लिये
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
पत्नी का चेहरा मुरझाया हुवा है, लेकिन बेटी की ‘गोरेपन की क्रीम ‘ के लिये ..
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
उधडी पतलून का होश नहीं ! लेकिन बेटे के ‘’जींस’’ के लिये ...
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
महीने की तनख्वाह दो दिन में खत्म हो जाती है ! बचत के सिक्को में भविष्य संवारने के लिये ..
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
बिटिया बड़ी हो रही है ! शादी के लिये दहेज़ की चिंता में ..
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
बेटा बड़ा हो चूका है ! नौकरी की सिफारिश की जद्दोजहद में ...
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
दवाई पर जिन्दगी चल रही है ! लेकिन मेहनत करते हुये ...
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
महंगाई दर, कुछ प्रतिशत से घट रही है किन्तु ...
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
‘छब्बीस रूपये ‘’ में भरपेट भोजन मिलता है ,लेकिन भूख की वजह से ..
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
देश मंगल तक पहुँच गया है, लेकिन ....
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
सिनेमा सौ साल का हो गया, लेकिन पत्नी को फिल्म दिखाने की तमन्ना लिये ...
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
सेंसेक्स भले ही शीर्ष पर पहुँच गया हो लेकिन दिहाड़ी के आंकड़ो में ...
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
सारी उम्र जीने की जद्दोजहद में निर्जीव काया लिये ..
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’
रोज मरना ही तो गरीब की नियति है ! गरीब कल भी मरता था ,कल भी मरेगा !
ईस नियति को बदलने के लिये ...
‘’गरीब आज भी मरता है ‘’

बुधवार, 27 अगस्त 2014

फिल्म एक नजर में : दी एक्सपेंडेबल्स 3

फिल्म एक नजर में : दी एक्सपेंडेबल्स 3 
फिल्म की स्टारकास्ट बड़ी जबर्दस्त है ,हालांकि इसमें कोई नयी बात नहीं है ! 
इस सीरिज की लगभग सभी फिल्मो में सिर्फ यही खूबी रही है ,भारी भरकम स्टारकास्ट ,
लेकिन मुख्य भूमिका में ‘स्टेलोन ‘ और ‘जेसन ‘ ही है हमेशा की तरह .
पिछली दो फिल्मो की तरह इस फिल्म की शुरुवात भी होती है एक एक्शन दृश्य से ,

जिसमे एक ट्रेन पर हेलिकॉप्टर से उतरकर कब्जा करते हुए एक सैन्य बैरक को तोड़ने का दृश्य है ! 
इतना सारा तामझाम ‘बार्नी रोस ‘ ( स्टेलोन ) के एक भूतपूर्व सहयोगी ‘डॉक्टर डेथ ‘ 
( विसली स्नायिप्स ) को कैद से आजाद कराने के लिए है ,
और वह उसकी और बाकी टीम जिसमे शामिल है ‘क्रिसमस ‘ ( जेसन स्टेथम ), 

गनर जेनसन (डोल्फ लुंगारिन ) टोल रोड (रैंडी कूचर ) आदि ,की मदद से ‘सी आई ए ‘ के 
अधिकारी ‘मैक्स ‘( हरिसन फोर्ड ) के दिए गए मिशन को अंजाम देना चाहता है ! 
जिसमे हथियारों के व्यापारी ‘स्टोनबैंक्स ‘ ( मेल गिब्सन ) को पकड़ना शामिल है .
तय योजना के अनुसार हमला कर दिया जाता है ,लेकिन स्टोनबैंक्स के पास उसकी खुद की मिलिट्री

 है जिससे पार पाना आसान नहीं है ,इस मिशन में ‘बार्नी ‘ का साथी ‘सीजर ‘ (टेरी क्रियूस )
 बुरी तरह घायल हो जाता है ,और ‘बैंक भाग जाता है !
उनकी इस नाकामी के पश्चात ‘मैक्स ‘ बार्नी को टीम के पुराने मेम्बर्स को हटा कर नए 

जोशीले मेम्बर्स भरती करने को कहता है ! टीम के विरोध के बावजूद बार्नी टीम भंग कर देता है .
और नए सदस्य भारती कर लेता है !
इनकी मदद से से वह ‘बैंक ‘ को पकड़ने में कामयाब हो जाता है ! 

लेकिन अं वक्त पर पासा पलट जाता है और सारे सदस्य बैंक की कैद में पहुँच जाते है ! 
और बार्नी बुरी तरह से घायल हो जाता है .
फिर ऐसे समय में बार्नी का साथ देता है ‘ट्रेंच ‘ ( अर्नाल्ड ) और एक नया सदस्य जिसे 

बार्नी ने रिजेक्ट कर दिया था ‘गाल्गो ‘ ( अंटोनियो बैंद्रास ) ,और इसी के साथ वहा पहुँच जाता है
‘क्रिसमस ‘ अपनी पुरानी टीम के साथ !
और वे फिर एक होकर ‘बैंक ‘ के गढ़ पर हमला कर देते है ! गन ,गोलाबारूद ,ग्रेनेड ,टैंक ,मिसाईल ,

हजारो बुलेट्स ,बाईक्स ,के बाद आखिरकार दो चार मुक्के और लातो के दर्शन देने के बाद ‘बार्नी ‘ ‘बैंक ‘ 
को खत्म कर देता है .
और फिल्म खत्म ! अरे नहीं अभी कुछ बाकी था ‘यिन यांग ‘ ( जेट ली ) भी इसी बिच

 एक हेलिकॉप्टर से गोलाबारी करके खानापूर्ति करते दिखा है .
यह थी कहानी जो वही पिछली कहानी का ही थोडा सा बदला हुवा रूप है ! 

वैसे भी ऐसी फिल्मो में कहानी पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता ,क्योकि इनकी कहानी एक्शन
 को आधार बना कर ही चलती है .
एक्शन फिल्म होने और बड़े बड़े एक्शन के महारथी होने के बावजुद फिल्म में एकाध स्टंट के अलावा

 और कोई स्टंट नहीं दीखता कुछ दीखता है तो सिर्फ तडततडाती गोलिया ,
धुएं का गुबार इतनी लम्बी स्टार कास्ट को आखिर रोल तो मिलना ही चाहिए ,
लेकिन यदि सबको बराबर रोल दिया जाय तो फिल्म में कहानी ही नहीं बचेगी !
अर्नाल्ड हर बार की तरह इस बार भी बस खानापूर्ति में दिखे ! अच्छा था के विलिस नहीं दिखे ,

जेट ली भी पिछले भाग से इन्ही की श्रेणी में आ गया है ,बार्नी के रोल में सिल्वेस्टर स्टेलोन और 
क्रिसमस के रोल में जेसन सबपर हावी रहे है ,विसली क्यों है समझ नहीं आता ! 
खलनायक के रूप में ‘मेल गिब्सन ‘ जरुर प्रभावित करते है ,लेकिन अंत में उनसे कुछ
 और उम्मीद थी जो के तुरंत खत्म हो जाती है ,इन सबके बिच यदि कोई राहत देता है तो वह है ‘गाल्गो ‘ 
बने अंटोनियो बैंद्रास ,जब जब परदे पर अपनी मौजुदगी दिखाई है तब तब दर्शको के चेहरे पर हंसी आई है !
 कुल मिलाकर एक्शन में फिल्म शुरू एक्शन में ही खत्म .
यदि अगला भाग बनेगा तो मै भी सोच रहा हु समीक्षा में क्या लिखूंगा ? 

स्टारकास्ट लिख कर इति कर लूँगा .
एक्शन के शौक़ीन भी एक बार देख सकते है अपने फेवरेट एक्शन स्टार के लिए ,

( अब कौन है फेवरेट ये आप चुन लीजिये पुरा होलीवूड भरा पड़ा है ) ,
नयी टीम के मेम्बर्स अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाते .
ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए ,बस टाईमपास है सीरिज किसी तरह आगे बढ़ाना है .

देवेन पाण्डेय
दो स्टार

शनिवार, 23 अगस्त 2014

फिल्म एक नजर में : मर्दानी ( समीक्षा )

कलाकार : रानी मुखर्जी ,जिशुसेन गुप्ता ,ताहिर राज
निर्माता : आदित्य चोपड़ा ,
निर्देशक : प्रदीप सरकार .
लगातार आति बेमतलब की मसाला फिल्मो की बाढ़ में एक्का दुक्का हटकर फिल्मे अपना प्रभाव छोड़ जाती है !
‘मर्दानी ‘ भी उसी श्रेणी में आती है ,फिल्म का विषय चाईल्ड ट्रैफिकिंग है इसलिए कुछ दृश्यों को संवेदनशील माना गया है जो विचलित करते है ,इसी कारण फिल्म विवाद में भी रही ! 
इस फिल्म के साथ ही रानी मुखर्जी ने शानदार वापसी की है ऐसा कह सकते है ,ट्रेलर से यदि आप इसके मसालेदार और एक्शन से परिपूर्ण फिल्म समझने की भुल कर रह है 
तो अपनी ग़लतफ़हमी दूर कर लीजिये ,यह फिल्म उस श्रेणी की नहीं है ,फिल्म में चूँकि रानी ने 
एक कडक पुलिस ऑफिसर का किरदार निभाया है तो उनकी तुलना ‘सिंघम ‘ एवं ‘दबंग ‘ से भी की गयी ,
जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं है !यह चलताऊ कहानी का कामचलाऊ किरदार बिलकुल भी नहीं है .
आते है कहानी पर ,’शिवानी रॉय ‘( रानी मुखर्जी ) क्राईम ब्रांच में सीनियर इंस्पेक्टर है ,जो शादी शुदा है ,
और अपने पति विक्रम ( जीशु सेनगुप्ता ) के साथ रहती है ,उनकी एक बच्ची ‘मीरा ‘ भी है ,
शादी शुदा जिन्दगी और
पुलिस की नौकरी में उसका तालमेल गजब का है ! घर में जहा वह नरमदिल है तो ड्यूटी पर एक सख्त अफसर .
‘शिवानी ‘ का एक अनाथ बच्ची ‘प्यारी ‘ के साथ बहुत लगाव है ,जो एक एन जी ओ में रहती है !
‘मीरा ‘ और ‘प्यारी ‘ भी आपस में दोस्त है ,सब कुछ ठीक चल रहा होता है के अचानक एक दिन ‘प्यारी ‘
लापता हो जाती है ! शिवानी इस सिलसिले में एन जी ओ में पूछताछ करती है तो पता चलता है के ‘प्यारी ‘ की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा कर इतिश्री कर ली गयी है ! 
बाकी उसके गायब होने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा , शिवानी मामले की जांच खुद शुरू कर देती है ,
जिसमे उसके हाथ हाथ एक संदिग्ध लगता है !
जिसके बाद शिवानी की जांच तेज रफ़्तार से आगे बढती है ! और वह इन सबके मुख्य सूत्रधार तक पहुँचती है 
जिसे लोग ‘वकील ‘ के नाम से जानते है ,तब शिवानी को पता चलता है के लडकियों के गायब होने का 
कारोबार बहुत बड़े ऑर्गनाईजेशन द्वारा प्लान किया जाता है !
यह एक बहुत बड़ा रैकेट है जिसमे कई बड़े लोग भी शामिल है ! बच्चियों के अपहरण करके उन्हें देह व्यापार 
के दलदल में धकेलने का यह काम देश विदेश के लेवल पर हो रहा है ,अपहरण लडकिया किसी वस्तु की तरह यहाँ से वहा सप्लाई की जा रही है .
शिवानी जब वकील तक पहुँचने ही वाली होती है तभी वकील कोई और रास्ता न देख आत्महत्या कर लेता है ! 
लेकिन अभी यह रैकेट खत्म नहीं हुवा शिवानी तब जानकर हैरान रह जाती है के इस रैकेट का सरगना कोई और है
‘करन रस्तोगी ‘( ताहिर भसीन ) इन सबका सूत्रधार है ! अब ताहिर और शिवानी में लुका छिपी ,
शाह और मात का खेल शुरू होता है जिसमे दांव पर लगी सैकड़ो मासूम बच्चिया ! 
और इनहे बचाने के चक्कर में खुद शिवानी भी इनके हत्थे चढ़ जाती है ,जिसे बाजार में पेश करने की
 तैय्यारिया शुरू कर दी जाती है ,फिर क्या होता है ?
यही आगे का भाग है .
फिल्म में अभिनय की बात करे तो फिल्म का मुख्य चरित्र रानी है ! तो सारा दारोमदार इन्ही पर टिका हुवा है ,
और बेशक शिवानी राव के किरदार को पूरी सजगता के साथ निभाया है ,हां शुरुवाती दृश्यों में 
जबरदस्ती इस किरदार को लाउड बनाने की कोशिश की गयी  जो के बहुत जल्दी सुधार ली जाती है .
मुख खलनायक के किरदार में ताहिर  भी ठीक थक जमे है ,फिल्म का विषय चूँकि बोल्ड है इसलिए 
कुछ दृश्य विचलित करते है लेकिन यही इस घिनौने अपराध की सच्चाई है जिसे नकारा नहीं जा सकता ,
सिस्टम का दबाव होने के बावजूद जिस तरह शिवानी एक महिला की लड़ाई खुद लडती है वह सच में प्रेरक है ,
अभी भी हमारा समाज कई विषयों को हल्के में लेता है जिसमे ह्यूमन ट्रैफिकिंग 
( ख़ास तौर से चाईल्ड ) को तो अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है !
उसकी भयावहता का एक अंश भर इसमें दिखाने का प्रयास किया गया है .
फिल्म एक अच्छे सन्देश के साथ खत्म होती है !
फिल्म में न गीत है और न ही कोई जबरदस्ती का एक्शन ,
जबकि एक्शन की गुंजाईश इस फिल्म के कई दृश्यों में थी ! 
जहा साफतौर पर एक्शन सिक्वेंस बनाये जा सकते थे ,लेकिन इन सबसे बच कर निर्देशक ने 
फिल्म को वास्तविक धरातल पर दिखाते हुए उसकी गरिमा बनाये रखी ,
फिल्म में कोई गीत नहीं है जो के फिल्म की कहानी को देखते हुए सही निर्णय है .
एक बढ़िया प्रयास ! देखनेलायक फिल्म.
साढ़े तीन स्टार

देवेन पाण्डेय 

बुधवार, 20 अगस्त 2014

बुलंदी का बोझ ( लम्बी कहानी ,भाग 1 )

मेरी यह रचना जनवरी २०१४ में मुंबई से प्रकाशित एक पत्रिका 'सुरभि सलोनी ' में दो कड़ीयो में
प्रकाशित हो चुकी है ! साभार उस कहानी को मै अपने ब्लॉग पर पोस्ट कर रहा हु .

'सुरभि सलोनी ' में प्रकाशित पेज 
' क्या यार अमित कम ऑन यार यही तो उम्र है मजे करने की और तू इसी उम्र में इतनी टेंशन लेकर बैठा है ? '  प्रशांत ने अपने दोस्त 'अमित ' से कहा !
अमित : नहीं यार मै टेंशन नहीं ले रहा
, मुझे बस जरा सी फ़िक्र है .
'डोंट वरी यार स्टडीज के बाद की फ़िक्र मत कर , अब तक मै तेरा साथ देता आया हु ,
 आगे भी मै तेरे साथ हु ! कैरियर की फ़िक्र मत कर भाई सब तेरा ही तो है ! 
पापा का बिजनेस आखिर मुझे ही तो सम्भालना है !
प्रशांत ने अमित को आश्वश्त करते हुये कहा .
'कितना करेगा यार तू ? मम्मी -पापा की मौत के बाद एक तू ही तो है 
जिसने मुझे सम्भाला है ! कॉलेज की फीस ,पढाई का खर्चा ,सभी तो तूने ही किया है ! 
इतने अहसान है तेरे मुझ पर , अब और इतना अहसान मत लाद मुझपर के बोझ इतना हो जाय के सारी  जिन्दगी तेरा दोस्त खड़ा ना हो सके '
'चुप कर साले , क्या बकवास लगा रखी है, अहसान -अहसान ! यह लफ्ज़ इस्तेमाल करके अपनी दोस्ती को गाली मत दे ! और यार मै अकेले भला क्या कर सकता हु जब तू मेरे साथ नहीं होगा ? इसलिये फ़िक्र छोड़ और अपना कैरियर मेरे साथ शुरू कर पापा के बिजनेस में हाथ बंटा कर समझे ? '
'नहीं यार मै अब अपने पैरो पर खड़ा होना चाहता हु , कुछ ऐसा करना चाहता हु के मुझे अपने वजूद के होने पर फक्र हो सके '
' ओके भाई कर लियो फक्र अपने वजूद पर ! अब चल ज़रा कैंटीन चलते है 
'नमिता ' आई होगी यार '
'नमिता ' का नाम लेते हुये उसके चेहरे पर आती चमक साफ़  दिखी थी !
दोनों कैंटीन की और चल पड़े
,
प्रशांत एक बिजनेस टायकून का बेटा था
,लेकिन पैसो का घमंड कभी उसे छु भी नहीं पाया ,
अमित एक मध्यमवर्गीय परिवार से था ! वही कहानी जो अक्सर मध्यमवर्गीय परिवार के साथ दोहराई जाती रही है
,
अमित का परिवार भी औरो की तरह बड़ी मुश्किल से अपने एकलौते बेटे की पढाई का खर्चा उठा रहा था !
हमारा बेटा हमारी तरह अभावो में ना जिये इसलिये उसके माँ बाप ने उसे शहर के रईसों का कॉलेज समझे जानेवाले कॉलेज में एडमिशन दिलाया था !
नया एडमिशन था सो रैगिंग तय थी
, और उसका भय  भी हर स्टूडेंट की तरह अमित को था !
लेकिन रैगिंग के दौरान ही उसकी मुलाक़ात प्रशांत से हुई ! प्रशांत ने उसे इस नये माहौल में अभ्यस्त होने में काफी मदद की !
और धीरे धीरे दोनों की दोस्ती परवान चढने लगी !
इसी बिच भारी बरसात के कारण पहाड़ धंसने से अमित ने अपने घर के साथ साथ अपने परिवार को भी खो दिया !
अब वह नितांत अकेला था ! भविष्य अंधकारमय था
, लेकिन प्रशांत ने उसे कभी अकेला नहीं छोड़ा !  हर कदम पर प्रशांत अमित के आगे ही खड़ा नजर आया !
उनकी दोस्ती एक मिसाल बन चुकी थी सारे कॉलेज में !
अमित ने अपने परिवार के साथ साथ कई मासूमो को मरते देखा था !
  अपने माँ बाप की लाशो को वह सिर्फ अपने घर के मलबे की वजह से ही पहचान पाया था ! इस हादसे  ने उसे अन्दर तक हिला दिया था ! इसी घटना ने जिन्दगी के लिये उसकी सोच बदल कर रख दी थी !
वह सामाजिक कार्यो में ज्यादा रुचि लेने लगा था ! कई
'एन जी ओ ' से वह जुड़ा हुवा था !
अपने स्तर पर जो हो सके वह वह सब करता था इस समाज के लिये !
प्रशांत को उसका इस तरह से दुसरो के लिये जीना पसंद नहीं था !
वह चाहता था अमित उसके बिजनेस में हाथ बँटाये ,ना की समाजसेवा करे !
' अबे यार तू भी ना क्या जरुरत है तुझे समाजसेवा करने की ? तेरे आगे सारी जिन्दगी पड़ी है भाई ! अरे तेरे आगे अभी तो सारी दुनिया झुक कर सलाम बोलेगी , बहुत सह लिया तूने अब तेरे खुश रहने के दिन आये है तो तू पागल बन रहा है ! इन सबमे कुछ नहीं रखा ! यह सब सिर्फ किताबो में अच्छा लगता है असल में नहीं !
लेकिन अमित
 पर  इसका कोई असर नहीं हुवा !
' देख दोस्त , मुझे इस काम में ख़ुशी होती है ! मुझे किसी की सलामी नहीं चाहिये बस किसी की मदद करके जो दुवाए मिल जाती है मेरे लिये वही काफी है ! अपने लिये तो सभी जीते है दोस्त , दुसरे के लिये कभी जीकर देखो !  यह बिजनेस मेरे बस का नहीं है , और यार सारी  जिन्दगी तो मै तेरे सहारे नहीं रह सकता न ?
मुझे पता है तुझे अपने दोस्त को आगे बढ़ता देख ख़ुशी होगी , लेकिन मै इसके लिये नहीं बना ,' प्रशांत उसे मनाने की हर कोशिश करता लेकिन सब बेकार !
कॉलेज का आखिरी दिन भी आ गया
, आज प्रशांत काफी खुश था क्योकि उसने 'नमिता ' के आगे भी अपने प्यार का इजहार कर दिया था , जिसे नमिता ने एक्सेप्ट कर लिया था !
वह अपनी ख़ुशी बाँटने के लिये अमित को ढूंढ रहा था !
'क्या हुवा प्रशांत , किसे ढूंढ रहे हो ' नमिता ने उसे परशान देख कर पुछा !
' नमिता , मै अमित को ढूंढ रहा हु , पागल कही का पता नहीं कहा चला गया ' प्रशांत के शब्दों से उसकी परेशानी साफ़ झलक रही थी !
' उसे कॉल कर के पूछ लो ना ' नमिता के कहते ही प्रशांत ने अमित का नम्बर डायल किया !
'ओफ्फो स्विच ऑफ है उसका फोन '
'साले को कहते भी नहीं बनता, कही जाना है तो बताकर जाये , उसके घर ही जाना होगा ,नमिता मै थोड़ी देर में आता हु उस से मिलकर '
'प्रशांत  .......'  नमिता की बात अधूरी ही रह गई क्योकि प्रशांत इतनी तेजी से भगा था के पल भर में नजरो से ओझल हो गया !
दरवाजे
पर दस्तक दी , दरवाजा अमित ने ही खोला था !
' क्या कर रहा है तू यहाँ ? मै वहा पागलो की तरह तुझे ढूंढ रहा हु और तू यहाँ .........'' गुस्से से बिफरते प्रशांत की नजरे
बेड
पर मौजूद सूटकेस पर पड़ी ,जिसमे कपडे सलीके से रखे हुये थे !
' यह क्या है अमित ? ' अमित अपना सर झुकाये खड़ा था !
'अमित बता मुझे ,यह कहा जाने की तैय्यारी कर रहा है तू ? ' बिफरते हुये प्रशांत ने कहा !
' मुझे पता था प्रशांत तू मुझे जाने नहीं देगा इसलिये  मै चुपके से निकला जाना चाहता था ' अमित ने कहा !
' लेकिन कहा जा रहा है ? क्यों ?
अमित ने  एक लिफाफा अपनी जेब से निकाल कर प्रशांत की ओर बढ़ा दिया .
प्रशांत
ने बेसब्री से लिफाफा खोला और उसमे से निकले हुये 'कागज़ ' को एक ही सांस में पूरा पढ़ डाला !
 इतनी बड़ी बात तूने मुझ से छिपाई ? दोस्त कहता है ना मुझे ? और मुझे इस लायक भी नहीं समझा के मुझे यह बता सके ?
क्यों
कर रहा है तू ऐसा ? क्या कमी रह गई यार अपनी दोस्ती में ? अरे पगले किस बात की कमी है तुझे यहाँ ?
क्यों
तुझे यही काम करना है , मेरे साथ चल आज ही बिजनेस ज्वाइन कर बस , मै तुझे कही नहीं जाने दूंगा
प्रशांत ने निर्णायक स्वर में कहा !
' इसलिये मै तुझे इस विषय में कुछ भी बताना नहीं चाहता था ! मुझे पता था तू मुझे जाने नहीं देगा !
तेरे सहारे मै कामयाब तो हो जाऊँगा मेरे दोस्त ,लेकिन वह जिन्दगी उधार की जिन्दगी होगी ,लोग हमेशा  यही कहेंगे के वह देखो अमित जिसने प्रशांत को सीढ़ी बनाकर कामयाबी पाई  , इस 'बुलंदी का बोझ ' मै नहीं सह पाऊंगा यार '
अमित के शब्दों में दर्द उतर आया था .
'बहुत बड़ी बात कह दी तूने भाई , एक झटके में अपने दोस्त को खुद से अलग कर दिया , अरे यार जो मेरा है उस पर तेरा भी बराबर का हक़ है मै तुझे जानता हु मेरे सामने तो कम से कम यह झूठे बहाने मत बना !
हम तो चाहते ही यही है के हमारी पहचान हमारी दोस्ती से हो , तो इसमें लोग कहा से गये ?'
सच
तो यह है के समाज सेवा का भूत तेरे सिर चढ़ा है , इसके आगे हमारी दोस्ती तुझे नजर नहीं आती ,ठीक है तू जाना चाहता है तो चला जा मै होता कौन हु तुझे रोकनेवाला ? लेकिन मेरी एक बात हमेशा याद रखना दोस्त , माना के मुझे अपने पैसो का घमंड नहीं है लेकिन यह बात भी सच है के दुनिया में पैसा जिसके पास है लोगो पर उसका राज है ' तेरी समाजसेवा तुझे सिर्फ दो वक्त की रोटी ही दे सकती है !  कर ले अपने मन की कर ले ,लें तुझे आना तो मेरे पास ही है !
जब
तेरा समाजसेवा का यह भूत तेरे सर से उतर जाये तो जाना मेरे पास , मेरी दोस्ती तब भी वैसी ही रहेगी जैसी अब है '
प्रशांत
ने अपने मन की पीड़ा अपने शब्दों से उजागर की !
' मुझे माफ़ करना दोस्त , और हां आज तो तू नमिता को प्रपोज करनेवाला था क्या हुवा उसका ? ' अपनी लरजती आँखों को उस से चुराते हुये अमित ने कहा !
' चुप कर साले बात मत बदल अब '
'' मै तेरे यह बहाने अच्छी तराह से जानता हु , अब बाते मत बना ,जब जाना ही है तो यह सब जानकर क्या करेगा तू ? '
प्रशांत रोषपूर्ण शब्दों में बोला तो अमित के चेहरे पर एक हलकी सी मुस्कराहट फ़ैल गई .
और वह एकटक प्रशांत की और देखने लगा
,मुस्कराहट कायम थी !
उसे ऐसे अपने पास देखते हुये देख कर प्रशांत सकपका गया
,
'अबे ऐसे क्या देख रहा है यार , हां बाबा उसने हां कर दी ,,,,अब खुश।।???'
प्रशांत का इतना कहना था के अमित ने उसे जोर से गले लगा लिया .
'अबे क्या कर रहा है यार ..लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे ? छोड़ मुझे '
प्रशांत बोला
,लेकिन अमित पर इसका कोई असर नहीं हुवा ,
'अरे लोगो को बोलना है तो बोलने दे , आख़िरकार तुझे तेरा प्यार मिल ही गया .,इस बात की मुझे कितनी ख़ुशी है यह तू नहीं समझ सकता ' अमित ने कहा .
'हां जैसे तेरे जाने की कितनी तकलीफ है मुझे, यह तू नहीं समझ सकता ' प्रशांत का गुस्सा कम नहीं हुवा था .
'देख यार बस कर अब बचपना मत कर और चुपचाप मेरे साथ चल , तूने इतनी मेहनत की है ,दिन रात पढाई की है क्या सिर्फ इसी दिन के लिये ? '
प्रशांत उसे समझाने कोई मौका नहीं छोड़ रहा था
,
' प्रशांत इसमें मेरी ख़ुशी है यार , अपनों के लिये  तो सभी जीते है , लेकिन दुसरो के लिये जीने में अलग ही मजा है ,तो अब समझाना छोड़ और ख़ुशी ख़ुशी मुझे विदा कर ताकि मुझे अपने फैसले पर दुःख न हो '
' ओके अब सोच ही लिया है तो मै  क्या कर सकता हु ,
' सॉरी यार  मुझे अभी निकलना है , मेरी ट्रेन है आधे घंटे में '
'क्या ? अबे तू ..........' आगे कुछ बोलते ना बना प्रशांत को तो खीज कर उसने एक जोरदार मुक्का अमित के चेहरे पर दे मारा ,
' आह ,,,माफ़ कर दे यार ,मुझे तुझे पहले ही बता देना चाहिए था ,' मुक्का वाकई काफी जोर का पड़ा था उसे .
प्रशांत को अपनी गलती का अहसास हुवा और उसने झट से अपने दोस्त को गले लगा लिया
, उसकी आँखों से जो सैलाब  अब तक रुका हुवा था वह अब फुट पड़ा ,
' तू कितना मतलबी है कमीने ,स्वार्थी है तू ,तुझे सिर्फ अपनी ख़ुशी पड़ी है ,मेरी तकलीफ की परवाह नहीं तुझे ' फफक पड़ा प्रशांत
अमित ने खुद को बड़ी मुश्किल से रोक रखा था ,वह जानता था के अगर उसकी आंख से एक भी आंसू
निकला तो वह कमजोर पड़ जायेगा
,नहीं जा पायेगा !
' बस भाई ,अब रोयेगा तो मै नहीं जा पाऊंगा ,और यार मै कही दूसरी दुनिया में नहीं जा 
रहा ,आता रहूंगा साल दरसाल ,हां शादी में तो आना ही है ना तेरी ?
'चुप कर साले वरना एक घूंसा और जड़ दूंगा , शादी में तो आना ही होगा तुझे वरना मै नहीं करनेवाला शादी ,अच्छा चल तुझे ट्रेन तक छोड़ कर आता हु ,'
प्रशांत अपनेआप
  को सम्भालते हुये बोला ,वह यह समझ चूका था के अमित अब अपने फैसले पर अडिग है ,
एकदम
 सही वक्त पर अमित और प्रशांत स्टेशन पहुंचे थे ,उनके आते ही ट्रेन भी आ गई थी .
'देखा आज भगवान भी मेरे साथ नहीं है ,चाँद मिनट भी नहीं दे सकता था मुझे , ट्रेन भी तुरंत आ गई  चल जल्दी बैठ अंदर ,और  पहुँच कर कॉल करियो वरना समझ लेना ,' प्रशांत बोला ,
'ठीक है अब मै  चलता हु यार, फिर मिलेंगे ' अमित ने कहा और दोनों यार एकदूसरे के गले मिले ,
.गाडी रफ़्तार पकड़ चुकी थी
,और ट्रेन नजरो से ओझल हो चुकी थी ,
प्रशांत ने अपनी आँखे पोंछी जो गीली हो चुकी थी .....
( जारी है अगले भाग में )

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